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शारदीय नवरात्र शुरू होने में मात्र कुछ ही घंटे या समय शेष है। वैसे से पूरे वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। इनमें दो नवरात्र गुप्त होते हैं। जबकि माता के भक्त शारदीय और चैती नवरात्र शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की नवरात्र के नौ दिनों में पूजा करते हैं। इस बार माता आराधाना 17 अक्टूबर शनिवार से होगी। इसी दिन कलश स्थापन के साथ माता की पूजा पूरे नौ दिन तक चलेगी जो 25 अक्टूबर नौवमी को संपन्न ही।
नवरात्र में आदि शक्ति की पूजा के लिए अन्य सामग्रियों के साथ साथ फूल यानी पुष्प का अपना स्थान होता। नैवेद्य के साथ साथ पुष्प को अर्पण करने का विधान है। एसे में यह जानलेना आवश्यक हैं कि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों पर कौन-कौन से पुष्प चढ़ाने चाहिए।
पंडित नंद किशोर मिश्र कहते हैं सनातान धर्म और हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार माता दुर्गा को वैसे तो सभी तरह के पुष्प पसंद हैं, लेकिन रक्त पुष्प अर्थात लाल रंग के फूल अत्य अधिक प्रिय हैं। वे कहते हैं कि पूजा के समय फूलों का चनय करते समय इस बात ध्यान रखना चाहिए कि फूल जमीन न गिरे हों। बासी या मुर्झाया हुआ फूल भूल कर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। पंडित नंद किशोर के अनुसार नवरात्र के दौर दिनों नव दुर्गा स्वरूपों को इस तरह से फूल अर्पित करें –

जपा कुसुम : गुडहल का फूल माता दुर्गा को अति प्रिय है। नवरात्र के पहले दिन शैल पुत्री देवी दुर्गा को गुड़हल का फूल अर्पित कर सकते हैं।
गुलदाउदी : नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह माता पर्वर्ती का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि देवी ने इस रूप में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। देवी ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग के पुष्प पसंद है। इसलिए भक्त गुलदावदी का पुष्प चढ़ा कर पूजा कर सकते हैं।
कमल : नवरात्र का तीसरा दिना माता चंद्रघंटा को समर्पित है। माता चंद्रघंटा को कमल का फूल अति प्रयि है। देवी को आप दूध से बनी मिठाई और दूध चढ़ा कर प्रसंन्न कर सकते हैं।
चमेली : देवी कुष्मांडा, मां दुर्गा का चौथा स्वरूप है। इन्हें चमेली के फूल काफी पसंद हैं। इसलिए, नवरात्रि के चौथे दिन देवी को चमेली के फूल अर्पित करें।
स्कंद माता को पसंद के पीले रंग का पुष्प : नवरात्र का पांचवा दिन देवी स्कंदमाता को समर्पित है। देवी को पीले रंग का फूल अर्पित करें। जीवन में सुख- शांति आती है। पूजा के दौरान केले रखें। आपको माता का आशीर्वाद मिलता है।
गेंदा फूल : छठवें दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी को गेंदे के फूल प्रिय हैं। यदि आपको गेंदे के फूल नहीं मिल पा रहे हैं, तो माता कात्यायनी को शहद के साथ-साथ उनके भोग के रूप में पीला चमेली भी चढ़ा सकते हैं।
कृष्ण कमल : नवरात्र के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता को श्याम या कृष्ण कमल अर्पित करें।
मोगरा : नवरात्र के आठवें दिन भक्त महागौरी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने यह रूप धारण किया। जब भगवान शिव ने देवी पर गंगाजल डाला तो उनका रंग दूध की तरह हो गया। माता महागौरी को मोगरा के फूल पसंद है। महागौरी की पूजा में मोगरा के फूल शामिल करना चाहिए।
चंपा : देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता को चंपा के फूल अत्यअधिक प्रिय हैं। इसलिए देवी की पूजा में चंपा के पुष्प अर्पित करें।