नीलकंठ अर्थात जिसका कंठ यानी गला नीला हो उसे नीलकंठ कहा जाता है। नीलकंठ भगवान शिव का दूसरा नाम है। लेकिन हम बात कर रहे हैं नीलकंठ पक्षी की। शहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को सनातन धर्म में शुभ माना गया है। मान्यता है कि दशहरा के नीलकंठ के दर्शन से सोया हुआ भाग्य जाग उठता है। इसलिए इसे भाग्य जगाने वाले पक्षी भी कहा जाता है।
नीलकंठ पक्षी को धरती पर भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता है। कहा जाता है कि रावण वध के भगवान श्री राम ने ब्रह्महत्या से मुक्ति के लिए अपने भाई लक्ष्मण जी के साथ तुलसी पूजित शिव लिंग की पूजा-अर्चना की थी। तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रूप में धती पर आए थे। इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है। दशहरा के दिन लोग घर की छतों पर बाग-बगीचों में और खेत-खलिहानों में जाकर नजरें दौड़ाते हैं नीलकंठ के दर्शन हो जाएं।
एक कहावत भी है-‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो’। इस कहावत के भाव पर गौर किया जाए तो नीलकंठ पक्षी को धरती पर भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। जो व्यक्ति अभिव्यक्ति को भगवान कहने का माध्यम माना गया है। मान्यता है कि दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन करने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है। वर्ष भर मांगलिक और शुभ कार्य घर में होते रहते हैं। मान्यता है कि श्रीराम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी।
नीलकंठ पक्षी के दर्शन की कुछ मान्यताएं
नीलकंठ पक्षी अगर किसी विवाहिता स्त्री के वस्तों जैसे पेटीकोट, ब्लाऊज, ब्रा पर बैठ जाए तो उसे पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्या के अधोव पर अगर नीलकंठ आकर बैठ जाए तो उस कन्या का वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है। कोई रजस्वला कुंवारी कन्या के दाएं ये अगर से उड़े तो उसका विवाह शीघ्र हो जाता है। लेकिन अगर बाएं से उड़े तो उसके अवैध संबंध बनने का खतरा बढ़ जाता है। अगर ये पक्षी उसे किसी सूखे काठ पर बैठा दिखे तो उसका कौमार्यभंग होता है। इसके साथ ही अगर पीठ के पीछे उड़े तो उससे साथ विश्वासघात होता है।
नीलकंठ पक्षी को कोई भी अपने सामने उड़ता देखे तो उसकी आयु 5 साल बढ़ जाती है। कहा जाता है कि अगर वह बांए से उड़े तो प्रिय से मिलन और दांए से उड़े तो पति के साथ समागम होता है, अगर पक्षी पीठ की तरफ से उड़कर आता है तो पुराने प्रेमी से मुलाकात का संदेश देता है।
अगर कोई स्त्री इस पक्षी को भूमि पर बैठा देख लेती है तो उदर संबंधित रोगों के बढ़ने की संभावना होती है। अगर ये पक्षी किसी वृक्ष की डाल पर बैठा दिखे और यौन सुख और सूखे डाल पर होतो यौन व्याधि के साथ दांपत्य जीवन में कलह का संदेश देता है। अगर नीलकंठ पक्षी किसी स्त्री को जलाशय के किनारे बैठा दिखे तो पर पुरूष से समागम का संभावना को बढ़ा देता है।
नीलकंठ पक्षी का जूठा किया हुआ फल या पानी पीने और खाने से मनवांछित फल और सौभाग्य की वृद्धि होती है इसके साथ ही आपका दांपत्य जीवन सफल रहता है। अगर ये पक्षी किसी पुरूष के सम्मुख दिखाई पड़े तो इसका दर्शन शुभ लाभ कारी होता है। नीलकंठ अगर दाएं भाग में उड़ता दिए तो विजय-पराक्रम की वृद्धि होती है। अगर बाएं भाग में उड़ता दिए तो शत्रुनाश होता है। लेकिन अगर पीठ के पीछे उड़ता दिखे तो हानिकारण होता है। सूखे काठ पर बैठा दिखे तो पुत्र शोक और जलाशय पर मिले तो व्यापार में व्यापक लाभ होता है।
नीलकंठ पक्षी अगर किसी अविवाहित युवक के सामने से उड़ता निकले तो उसके लिए लाभकारी होता है। नीलकंठ के इस दर्शन को लेकर उस युवक की आर्थिक कामनाएं पूर्ण होने के साथ शीघ्र विवाह के बंधन में बंधने के योग बनते हैं। इसके साथ ही अगर यह पक्षी उसके कपड़ों जंघिया, लंगोटा, बनियान पर बैठे तो यह इस बात का सूचक है कि उसे शीघ्र ही स्त्री के सुख की प्राप्ति होने वाली है।