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Gandhi Jayanti: अमृतसर से गांधी जी का गहरा नाता, यहीं से दी थी खिलाफत आंदोलन में सहयोग देने की मंजूरी

Gandhiji had a deep connection with Amritsar, it was from here that he gave permission to cooperate in the Khilafat movement.

महात्मा गांधी का पंजाब का सीमांत जिला अमृतसर से गहरा नाता रह है। यह इस लिए बताने जा रहा हूं क्योंकि आज 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती है। पंजब के इसी अमृतसर शहर में महात्मा गांधी ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए जो आगे चल कर भारतीय स्वंत्रता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुआ।
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार के करीब छह माह बाद 23 नवंबर 1919 को अमृतसर के गोलबाग (तत्कालीन एचिसन पार्क) में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 36वें अधिवेशन में पं. मोतीलाल नेहरू को पहली बार अधिवेशन की अध्यक्षता करने का मौका मिला था। इसी अधिवेशन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक व पं. मदन मोहन मालवीय सरीखे सर्वमान्य ‘गरम दल व नरम दल’ नेताओं का आगमन भी हुआ। हालाकि, इस अधिवेशन की तिथि जलियावाला बाग कांड के पहले से निर्धारित थी।

अमृतसर रेलवे स्टेशन पर प्रशासन की ओर से लगवाए गए एक शिलालेख (जो अब नहीं है) से पता चलता है कि इस अधिवेशन में गुजरात में हुए दंगे व दक्षिण अफ्रीका के लिए जहां प्रस्ताव पारित किए गए, वहीं जलियावाला बाग हत्याकाड की भ‌र्त्सना की गई। इसके साथ ही संपूर्ण स्वराज की जल्द से जल्द प्राप्ति के लिए मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार को मान लेने के अलावा खिलाफत आदोलन में सहयोग देने को मंजूरी दी गई।

मॉर्डन हिस्ट्री ऑफ इंडिया के प्रोफेसर डॉ. इंद्रजीत सिंह गोगवानी व गुरुतेग बहादुर खालसा कॉलेज दिल्ली के प्रो. डॉ. अमनप्रीत सिंह गिल के अनुसार इसे भारत में ब्रिटिश सरकार की ओर से धीरे-धीरे भारत को स्वराज्य का दर्जा देने के लिए पेश किया गया था। संक्षिप्त में इसे मोंट-फोर्ड सुधार के नाम से भी जाना जाता है। डॉ. सिंह कहते हैं कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन राज्य सचिव रहे एडविन सैमुअल मोंटेग्यू व 1916 से 1921 के बीच भारत के वॉयसराय रहे लॉर्ड चेम्सफोर्ड के नाम पर इसका नाम रखा गया। वे कहते हैं कि इसे मान लेने से भारत में द्विसदनात्मक विधायिका की स्थापना, लोक सेवा आयोग का गठन व पहली बार महिलाओं को सीमित मात्रा में मत देने का अधिकार मिला।

दुर्भाग्‍य कि अमृतसर में नहीं है गांधी की निशानी

अमृसर में गांधी गेट, गांधी बाजार और गांधी की प्रतिमा तो है, लेकिन उस स्‍थन की किसी को जानकारी नहीं है, जहां कांग्रेस का 36वां अधिवेशन हुआ था। उस समय का एचिसन पार्क आज गोलबाग के नाम से जाना जाता है। लेकिन दुर्भाग्‍य कि इस ऐतिकासिक पार्क के बारे में शायद ही किसी को जानकारी हो। क्‍योंकि यहां पर न तो कहीं कोई बोर्ड लगाया हैं और ना ही शिलापट्ट। और तो और कुछ बरस पहले तक अमृतर रेलवे स्टेशन के बाहर एक शिलापट्ट लगा होता था जिसपर गांधी जी के अमृतसर दौरे के बारे में उल्लेख था लेकिन, अब यह शिला पट्ट भी यहां नहीं है।