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सनातन धर्म में भगवान शिव को देवाधिदेव कहा गया है। सभी देवों के देव। भगवान शिव की आरधाना के लिए सोमवान का दिन खास माना गया है। वैसे तो आप किसी भी दिन भगवान (Lord Shiva) की पूजा करें कोई मनाही नहीं, लेकिन सावन का महीना सोमवार को खास बनता है। मान्यता है कि सावन के सोवमार को बेलपत्रों से भगवा शिव का जलाभिषेक करने से मनवाक्षित वरदान मिलता है।
सावन के सोमवार को महिलाएं भगवान शिव (Lord Shiva) का का व्रत रखती हैं और भगवान शिव की बेलपत्रों और गंगाजल से पूजा कर उन्हें प्रसन्न करती हैं। सावन के सोमवार की इस पूजा में भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय बेलपत्र है। इस बेलपत्र को संस्कृत में बिल्वपत्र भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव के मस्तक पर बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करने से उन्हें शीतलता मिलती है। आइए जानते हैं भगवान शिव (Lord Shiva) को बेलपत्र किस तरह अर्पित करना चाहिए।
बेलपत्र तोड़ने का नियम
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या व संक्रांति और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। देवाधिदेव भगवान शिव को बिल्वपत्र बहुत प्रिय है। इसलिए इन तिथियों और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। इससे अच्छा यही है कि आप एक दिन पहले ही बिल्वपत्र तोड़ लें और दूसरे दिन इसे धो कर भगवान शिव को अर्पित करें। यह शुभ माना जाता है।
पं: नंदकिशोर मिश्र कहते हैं कि धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि यदि आप को बेलपत्र नहीं मिल रहा है तो , किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धो कर कई बार प्रयोग किया जा सकता है। वे कहते हैं पेड़ से एक-एक कर बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए। बेलपत्र तोड़ने से पहले और तोड़ने के बाद उसे मन ही मन नमस्कार करना चाहिए।
हमेशा उल्टा करके चढ़ाएं बेलपत्र
भगवान शिव की पूजा करते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि बेल पत्र चढ़ाते समय वह उल्टा हो। यानि शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ अर्थात शिवलिंग की तरफ होना चाहिए। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें की बेलपत्र 3 से 11 पत्ती वाला होना चाहिए। बेलपत्र यदि कटा-फटा या उसमें चक्र बना हो तो उसे भगवान शिव को न चढ़ाए।