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रजनीश कुमार मिश्र ( गाजीपुर) अपराध के जगत का बेताज बादशाह मुख्तार अंसारी एक ऐसा शख्स था । जिसके हनक से अच्छे अच्छों की पैंट गीली हो जाती थी । मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में कदम रखने से पहले गली के गुंडे की तरह अपना रूतबा कायम रखता । अच्छे घराने से होने के बावजूद भी मुख्तार जरायम की दलदल में धंसता चला गया ।
अपने दम पर बड़े भाई को साईकिल का दिलाया ठेका
मुख्तार अंसारी अपने बड़े भाई अफजाल अंसारी को साईकिल का ठेका दिलाकर अपने धौस जमाने की शुरुआत कर दी थी । अब वो जरायम की दुनिया में प्रवेश कर चुका था । साइकिल के ठेके से लेकर तेल , रेलवे, कोयला , सड़क नाले नाली तक के ठेके अपने लोगों को दिलाता रहा । मुख्तार अंसारी का इतना दबदबा बढ़ गया की जनपद में हर ठेके पर मुख्तार का ही कब्जा होता चला गया ।
अच्छे घराने से तालुक
लोग बताते है की मुख्तार का इतना खौफ था की देशी व विदेशी कम्पनियां प्रदेश में ठेके लेने से किनारा कर लिया था । मुख्तार अंसारी जमीदार घराने का भले ही था । उसके पास पैसे की भी कोई कमी नहीं थी । लेकिन पैसे कमाने व वर्चस्व कायम रखने के लिए अपराध की दुनिया में बेताज बादशाह बना ।
वर्ष 1978 में धमकी देने के आरोप में एनसीआर हुआ दर्ज
जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह मुख्तार अंसारी पर पहला मुकदमा वर्ष 1978 में धमकी देने के आरोप में सैदपुर थाने में एनसीआर दर्ज हुआ था । उस समय मुख्तार अंसारी की उर्म लगभग 15 वर्ष रहा होगा । लेकिन आठ साल तक मुख्तार बेदाग घुमता रहा कोई अपराधी कार्य में मुख्तार का नाम नहीं आया । लेकिन वर्ष 1988 में दबंग सच्चिदानंद राय की हत्या के बाद पहली बार मुख्तार का नाम सामने आया था । तब मोहम्मदाबाद थाने म़े मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था । उसके बाद मुख्तार अंसारी बना जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह जो कभी पिछे मुड़कर नहीं देखा।