अमृतसर : वैसे तो पंजाब और पंजाबियत की अपनी पहचान है। कृषि प्रधान इस राज्य के युवाओं की भारतीय सेना में अपनी धमक है। लेकिन इस जवानी नशे का दीमक अंदर ही अंदर चाट रहा है। यहीं नहीं यह दीमक सरहदी जिले के गांवों और शहरों से होते हुए पंजाब पुलिस की वर्दी को भी दागदार कर रहा है। हालत यह है कि प्रदेश में कई ऐसे मामले आए हैं जिसमें पंजाब पुलिस को शर्मसार होना पड़ा।
पटियाला पुलिस ने ड्रग तस्कर गिरोह के सरगना बर्खास्त डीएसपी जगदीश सिंह उर्फ भोला को गिरफ्तार कर लिया है। 700 करोड़ की सिंथेटिक ड्रग की अंतरराष्ट्रीय स्मगलिंग करने वाले गिरोह के चार साथी भी पकड़े हैं। 12 नवंबर 2013 को हरियाणा के सोनीपत से हुई अंतराष्ट्रीय ड्रग्स तस्कर भोला की गिरफ्तारी ने उस समय सबको हिलाकर रख दिया था। जगदीश सिंह भोला पंजाब पुलिस का डीएसपी था। उस समय पंजाब पुलिस के पटियाला के तत्कालीन एसएसपी हरदियाल सिंह मान ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया था कि आरोपित डीएसपी जगदीश भोला के पास से पुलिस ने करीब 18 करोड़ रुपये मूल्य के सिंथेटिक ड्रग्स और दो गाड़ियां भी बरामद की थी।
यही नहीं पंजाब पुलिस ने तीन मार्च 2013 को ड्रग पैडलर अनूप सिंह काहलों जालंधर और कुलविंदर सिंह उर्फ राकी नवांशहर को भी काबू कर करीब एक अरब 32 करोड़ 70 लाख की कीमत की 26 किलो 540 ग्राम हेरोइन बरामद हुई थी। यही नहीं इस केस में पंजाब में शिरोमणि अकाली दल बादल सरकार में राज्व मंत्री रहे विक्रम जीत सिंह मजीठिया का नाम सामने आने के बाद सूबे की सियासत में भूचला आ गया था। फिलहाल भोला और अन्य आरोपित इस समय सजा काट रहे हैं। ऐसा नहीं है कि जगदीश भोला प्रकारण के बाद पंजाब पुलिस की वर्दी पर लगा धब्बा मिट गया हो, अलबत्ता यह दाग और गहरे होते जा रहे हैं।
डोप टेस्ट ने खोली पोल
अमृतसर के सिविल अस्पताल में तरनतारन जिले के 22 पुलिस कर्मियों के हुए डोप टेस्ट में 13 जवानों सैंपल फेल हो गए। यही नहीं इन जवानों का वजन भी अधिक पाया गया। उल्लेखनीय है कि डीएसपी तरनतारन सुखमिंदर सिंह ने अस्पताल के एसएमओ डॉ. अरुण शर्मा को एक पत्र लिख कर इन पुलिस कर्मियों का डोप टेस्ट करने को कहा था। इसके बाद एक-एक करेके पुलिस कर्मियों को लैब में भेजा गया और उनके यूरिन के सैंपल लिए गए। जब डोप टेस्ट की रिपोर्ट आई तो 22 में से 13 मुलाजिम का डोप टेस्ट फेल पाए गए। रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर पुलिस मुलाजिमों के यूरिन में मॉरफिन की मात्रा पाई गई।
बता दें कि यह डीएसपी ने यह फैसला सिविल अस्पताल तरनतारन एवं सिविल अस्पताल पट्टी में डोप टेस्ट करने के नाम पर धांधली सामने आने के बाद लिया था। इन सभी पुलिस मुलाजिमों का पहले इन्हीं दोनों अस्पतालों में टेस्ट हुआ था। जहां इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। चूंकि तरनतारन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को शंका थी कि ये मुलाजिम नशेड़ी हैं, इसलिए इनका डोप टेस्ट अमृतसर से करवाया गया।
अमृतसर में भी 16 पुलिस कर्मचारी मिले थे नशेड़ी
इससे पहले भी अमृतसर देहात पुलिस के डोप टेस्ट करवाया गया था। इसमें 16 पुलिस कर्मी नशेड़ी पाए गए थे। हद तो तब हो गई जब पंजाब पुलिस का एक जवान डोप टेस्ट से बचने के लिए घर से अपनी पत्नी का यूरिन सैंपल ले आया, लेकिन मशीन ने उसका झूठ पकड़ लिया। और वह कर्मी भी नशेड़ी निकला।
मुंसी और कांस्टेबल मिल कर करते थे तस्करी
यही नहीं पिछले साल फाजिल्का पुलिस ने हेरोइन तस्करी के आरोप में पंजाब पुलिस के तीन सिपाहियों को काबू कर बड़ी मात्रा में हेरोइन बरामद किया था। आरोपियों में दो फिरोजपुर और एक फाजिल्का का कांस्टेबल था। पुलिस अधिकारियों को खबर थी कि फिरोजपुर के दो और फाजिल्का का एक कांस्टेबल हेरोइन तस्करी करता है। पुलिस ने सीआईए स्टाफ ने अपने एक मुखबीर को हेरोइन लेने के लिए ग्राहक बनाकर फाजिल्का के एक कांस्टेबल से संपर्क किया। जब फाजिल्का का कांस्टेबल हेरोइन (120 ग्राम) लेकर मुखबिर के पास पहुंचा तो सीआईए स्टाफ ने उसे धर लिया । इस कांस्टेबल ने बताया कि उक्त हेरोइन फिरोजपुर के एक थाने में तैनात मुंशी से लेकर आया है। और वह नशे का कारोबार लंबे समय से कर रहे हैं। इसी तरह जालंधर के बस्ती मिट्ठू में भी पुलिस ने एक हवलादा और होमगार्ड के एक जवान को स्मैक पीते हुए काबू किया था। बता दें कि ये दोनों आरोपी पहले भी स्मैक पीते हुए पकड़े गए थे। हवलदार के परिजनों ने उसका इलाज करवाया था, लेकिन वह फिर से नशे का आदी हो गया।
तीन साल में 47 पुलिस कर्मी बर्खास्त
पंजाब में नशा तस्करी पर अंकुश न लगने का सबसे बड़ा कराण यह भी है कि नशे पर नकले कसने वाले पुलिस विभाग में ही कुछ कर्मी ऐसे बैठे हैं जो नशे के कारोबार से जुड़े हैं। और कार्रवाई होने से पहले ही सूचनाए लीक कर देते हैं। यही नहीं मालखाने से शराब की बोतलें भी गायब हो जाती हैं। इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है नशा करने और नशा तस्करी के आरोप में पंजाब पुलिस के 47 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया, जबकि 17 कर्मियों को निलंबिल कर दिया गया। पुलिस कर्मियों की इसी कारस्तानी से पंजाब पुलिस की वर्दी पर नशा तस्करी के गहरे दाग लगे हुए हैं।
डॉक्टर तक संलिप्त
आरोपों के दाग से डॉक्टरों सफेद कोट भी दागदार हो रही है। इसी महीने अमृतसर और मानसा जिले में पैसे लेकर फर्जी रिपोर्ट बनाने के आरोप में कुछ डॉक्टर भी धरे गए। इनपर आरोप था कि ये पैसे लेकर दिव्यांगता से लेकर कोरोना नेगेटिव और पॉजिटिव तक की रिपोर्ट बनाते थे। मानसा जिले में रिश्वत लेकर डोप टेस्ट तक तैयार करने के आरोप में दो डॉक्टर और एक एसएसमओ को विजिलेंस विभाग ने धर दबोचा था। अब ये तीनों डॉक्टर न्यायिक हिरासत में सलाखों के पीछे हैं।
चौंकाते हैं आंकड़े
अप्रैल 2017 से 2020 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो ये आंकड़े किसी भी प्रदेश के पुलिस विभाग को शर्मसार करने के लिए काफी हैं-
कुल मामल 114
विभागीय जांच 148
कार्रवाई 61
बर्खास्त हुए पुलिस कर्मी 47
निलंबित किए गए पुलिस कर्मी 17
जब्त की गई संपत्तियां
वर्ष 2017 में कुल मामले आए 37 जब्त की गई संपत्ती 18.46 करोड़
वर्ष 2018 में कुल मामले आए 37 जब्त की गई संपत्ती 11.37करोड़
वर्ष 2019 में कुल मामले आए 50 जब्त की गई संपत्ती 37.69 करोड़
वर्ष 2020 में कुल मामले आए 11 जब्त की गई संपत्ती 1.68 करोड़ की संपत्ती जब्त की गई। इसके अलावा 58 मामले विचाराधीन है।