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झरोखा स्पेशल

बच्चियों व महिलाओं के लिए दहशतपूर्ण माहौल कल भी, आज भी

बच्चियों व महिलाओं के लिए दहशतपूर्ण माहौल कल भी, आज भी

परवेज़ अख्तर की कलम से : मन थर्रा उठता है जब ये एहसास करो कि किसी टाईम पर ज़िंदा लड़कियों को दफ़ना दिया जाता था ! मन काँप उठता है जब ये एहसास करो कि किसी टाईम पर सती प्रथा के नाम पर ज़िंदा औरत को पति की चिता पर बैठा कर आग के हवाले कर दिया जाता था ! औरतों को लड़कियों को सिर्फ़ मन बहलाने की चीज़ समझा जाता था ! उनकी खरीद फ़रोख़्त होती थी बाज़ारों में उनकी बोलियाँ लगाई जाती थीं ! लड़कियों के पैदा होने पर घर में मातम का माहौल पैदा हो जाता था कयी मर्तबा तो बच्ची जनने वाली माँ को भी मार दिया जाता था !

मुसलमानों की कयी किताबों में इन सब बातों का ज़िक्र आता है , हिन्दू साहित्यों में भी औरतों पर जुल्म ओ सितम की कयी बातें प्रचलन में हैं उन्हीं में सती प्रथा जैसी कुप्रथा भी शामिल है समय समय पर तमाम महापुरुषों ने इस दुनिया में आकर तमाम उन ज़ाहिलाना रस्मों को खत्म किया जो मौजूदा वक्त में लोग रस्म के साथ अदा करते थे पर हकीकत में वो रस्म प्रथा बहुत ही बेहूदा व बदनुमा दाग की तरह होती थीं !

हमारे पैगम्बर हज़रत मोहम्मद सo जोकि पूरी दुनिया के लिये रहमतुल्लिल आलमीन बन कर आये उस वक्त के दौर की तमाम कुकृत्य रस्मो को कुप्रथा को खत्म करने के लिये जी जान से जुट गये मोहम्मद सo ने लोगों को तमाम बुराइयों से दूर करते हुये लोगों को इस बात का भी एहसास कराया कि बेटियां मासूम होती हैं यही हैं जिनके दम पर दुनिया चलती है ये हैं तो घर में रौनक है और सही मायनो में ये हैं तो एक वक्त के बाद इनके पैरों के नीचे जन्नत है ।

मुसलमानों के अलावा भी हर धर्म में तमाम महापुरुष आये उन्होंने भी बेटियों के लिये औरतों के लिये तमाम ऊन्चे मकाम बताये पैगम्बर ईसा अलैo ने औरत व आदमी के फ़र्क में बराबर के दर्ज़े को तर्ज़ीह दी वहीं हिन्दू धर्म में भी औरतों के ऊँचे दर्ज़े बताये गये यहाँ तक कि उनको देवियों तक का दर्ज़ा दिया गया और हर नवरात्रि में इनको देवियों की तरह पूजा भी जाता है !

धीरे धीरे हम लोग सभ्य समाज बनते गये काफ़ी बदलाव आया लड़कियों की तरक्की के लिये व आदमियों के कदम से कदम मिला कर चलने के लिये इन बेटियों के लिये तमाम रास्ते खुलते गये और आज बेटियाँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं!!!

आज खबरों में इन बच्चियों की तरक्की की बहुत सारी खबरें सुनने को मिलती रहती हैं !
स्कूटी चलाने से लेकर ट्रेन चलाने तक में !
किचन में धुंआ उड़ाने से लेकर जहाज़ उड़ाने तक में !
अपने हक़ के लिये लड़ने से लेकर बॉर्डर पर दुश्मनों से लड़ने तक में पीछे नहीं हैं!

पर इसी के साथ इन खबरों की भी कमी नहीं है कि आज भी बेटियाँ मारी जा रही हैं, आज भी जलाई जा रही हैं, आज भी अपेक्षित की जा रही हैं, आज भी पैदा होने से पहले खत्म की जा रही हैं,
आज भी बेची जा रही हैं,
आज भी इनकी आबरू लूटी जा रही है!

(Terrible atmosphere for girls and women yesterday, even today)

कौन हैं ये लोग जो ऐसा कर रहे हैं ? कौन हैं इन बच्चियों के हत्यारे ? कौन हैं इनकी खरीद फरोख्त करने वाले ? और कौन हैं इनकी आबरू लूटने वाले ?
कौन हैं ये ज़ालिम लोग जिनके मन में बच्चियों के लिये हमदर्दी नहीं है !
ये सच है ऐसा करने वाले किसी धर्म से ताल्लुक़ नहीं रखते हैं ये जानवर होते हैं सिर्फ़ जानवर
और अगर धर्म से ताल्लुक रखते हैं तो ऐसा कुकृत्य करने वाले चंद मुसलमान अपने ज़मीर को ज़िन्दा करते हुये ये सोच कर एहसास करे कि हज़रत मोहम्मद सo ने औरतों बच्चियों के लिये क्या बातें बताई हैं!
और हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखने वाले और कुकृत्य करने वाले चंद हिन्दू इस बात का एहसास करें कि अदृश्य देवियों को तो साल भर पूजते हैं पर बेटियों की शक्ल में ज़िंदा देवियों को सिर्फ नवरात्रि में ही पूज कर इतिश्री कर लेते हैं, रक्षाबंधन में राखी बंधवा कर बहनों की रक्षा करने के लिए प्रण करते हैं आखिर क्यों नहीं इन बच्चियों की आस्था व मुहब्बत हमेशा के लिये दिल में बसाते हैं!

आइये
प्रण करें कि खुद से भी इन बच्चियों महिलाओं को कोई तकलीफ न होने देंगे !
और ज़माने में फ़ैले हुये इंसानी भेड़ियों से भी हिफ़ाज़त करेंगे !

क्योंकि
बच्चियां कल भी मासूम थीं!
बच्चियां आज भी मासूम हैं।

परवेज़ अख्तर
ब्यूरो चीफ
9335911148







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