
रजनीश कुमार मिश्र ghazipur गुरुवार को अपर सत्र न्यायाधीश संजय यादव ने सात साल पुराने हत्या के केश में अहम फैसला सुनाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 2015 में तत्कालीन भांवरकोल थानाध्यक्ष रहे विपीन सिंह पर सबुत मिटाने व आरोपियों को लाभ पहुंचाने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने आदेश दिया है । दरअसल ये मामला 2015 का है। जहां भांवरकोल थाना क्षेत्र के शेरपुर खुर्द में 30 सितंबर 2015 में ललन राय अल सुबह अपने दरवाजे पर बैठे थे । साथ में उनके पट्टीदार सरोज राय , प्रभात रंजन राय व ललन राय की पत्नी माधुरी राय भी थी । तभी संजय राय, दामोदर राय उर्फ बड़क , दिगंबर राय, उत्कर्ष राय असलहे के साथ उनके दरवाजे पहुंच ललन राय को निशाना बनाते हुए गोलियां दाग दी गोली सरोज राय व ललन राय के पेट में जा लगी ।
गोली पेट में लगने के वजह से ललन राय गंभीर रूप से घायल हो गये । उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया । जहां डाक्टरों ने ललन राय को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया। वाराणसी में इलाज के दौरान ही कुछ ही देर में ललन राय की मौत हो गई । इस घटना के आरोप में ललन रार की पत्नी माधुरी ने चार लोगों के उपर नामजद मुकदमा दर्ज कराया । मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस ने फौरन कार्यवाही करते हुए चारों को जेल भेज दिया ।. जहां बड़क राय को छोड़कर तीन हत्यारोपी जमानत पर बाहर आ गये । इस मुकदमे की पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दिया । दाखिल किये गये इस चार्जशीट में पुलिस ने उत्कर्ष राय का नाम हटा दिया ।
लेकिन कहां जाता है की पाप कभी छिपता नहीं है। वहीं हुआ और कोर्ट ने उत्कर्ष राय को भी हत्यारोपी माना उधर तत्कालीन थानाध्यक्ष विपीन सिंह का भी पाप का घड़ा भर ही गया था । तभी तो कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया की चार्जशीट में असलहे का जिक्र है परंतु धाराओं में हत्या में प्रयुक्त आर्म्स एक्ट का जिक्र नहीं है । इसलिए न्यायाधीश ने भी माना की घटना के विवेचक तत्कालीन थानाध्यक्ष विपीन सिंह ने हत्यारोपियों को बचाने के लिए साक्ष्य मिटाने की कोशिश की है। लिहाजा न्यायाधीश ने गाजीपुर एसपी व डीजीपी को विपीन सिंह पर एफआईआर दर्ज करने के लिए आदेश किया है । बतादें की घटना के वक्त विपीन सिंह उपनिरीक्षक थे व उस दौरान वो भांवरकोल थाने का चार्ज संभाल रहे थे। अब विपीन सिंह पदोन्नत हो इंस्पेक्टर के पद पर मिर्जापुर के देहांत कोतवाली में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है। ये गाजीपुर जनपद में पहला मौका है,की किसी थानाध्यक्ष पर विवेचना के दौरान कोर्ट ने दोषी माना है। इसीलिए कहा जाता है, की पाप का घड़ा तो कभी ना कभी भरेगा ही ।