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Snake Bite Deaths in India: बरसात का मौसम चल रहा है। ऐसे मौसम में तमाम तहर के कीट पतंगें धरती से बाहर निकलते हैं। इनमें सांप, बिछू, कनखजूरा आदि होते हैं। इन जीवों में सबसे ज्यादा खतरा सांप से होता है। सांपों में कई जहरीले भी होती है, जिनमें
मुख्य है किंग कोबरा और करैत। इन सांपों के काटने से समय पर उपचार ने मिलने के कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
अपने देश भारत में सांपों की पूजा भी की जाती है। सांपों की पूजा का एक विशेष दिन भी होता है जिसे नागपंची के तौर पर मनाया जाता है। भारत में सांप के काट लेने पर उसके जहर को उतारने के लिए झाड़फूंक और पीर-पैगंबरों और बाबाओं के स्थान तक का सहारा लिया जाता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
यह कटु सत्य की सर्पदंश से भारत में प्रति वर्ष काफी संख्या में लोगों की जान चली जाती है। आम मौसम की अपेक्षा वर्षात के मौसम में सर्पदंश (Snake Biting) के मामले ज्यादा आते हैं। व्यन्य जीवों में रुचि रखने वालों के मुताबिक भारत में सांपों की 276 प्रजातियां मिलती हैं, लेकिन इनमें से लगभग 20-30 प्रतिशत सांप ही काफी विषैले होते हैं।
भारत खेती प्रधान देश है। यहां हर साल काफी संख्या में खेते में काम करते समय लोग सर्पदंश (Snake Biting) का शिकार होते हैं। सांपों के काटने से होने वाली मौतों को देश के कई राज्यों में आपदा से हुई मौत घोषित किया गया है। सर्पदंश से हुई मौत पर पीड़ित के परिवार को मुआवजा दिया जाता है। मुआवजे की यह रकम चार लाख रुपये होती है। केरल में तो भूड़ या जहरीली मक्खी के काटने से हुई मौत पर भी मुआवजा देने की घोषा की जा चुकी है।
संर्पदंश से हुई मौत के मुआवजे को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाराचवर के एसएमओ डा: रजत गुप्ता बताते हैं कि उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में चार लाख रुपये का मुआवजा मृतक के परिवार को दिया जाता है। इसके लिए मृतक का पोस्टमार्ट करवाना पड़ता है। वहीं अगर सर्पदंश से किसी किसान की मौत हुई है तो उसे उसे मुआवजा राशि के अतिरिक्त एक लाख रुपये किसान बीमा योजना के तहत दिया जाता है।
सर्पदंश से 97 फीसदी मौतें गांव-देहात में होती हैं
एक रिपोर्ट के मुताबिक सर्पदंश से भारत में प्रतिवर्ष करीब 64 हजार लोगों की मौत होती है। इनमें 97 फीसदी मौतें गांव-देहात के इलाकों में होती हैं। इनमें अधिकास संख्या पुरुषों की होती है, जिन्हें खेतों में काम करते समय सांपों डंस लिया होता है और पता चलते चलत जहर पूरे बदन फैल जाता है, जिससे वह अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते। डा: रजत गुप्ता के मुताबिक सर्पदंश से होने वाली मौतों के पीछे एक बड़ा कारण लोगों का जागरूक न होना भी है। डा: रजत के मुताबिक तंत्रमंत्र के चक्कर में न पड़ कर यदि व्यक्ति समय रहते सीधे अस्पताल पहुंचे उसे बचाया जा सकता है।
पोस्टमार्टम सबसे जरूरी
डा: रजत गुप्ता कहते हैं सर्पदंश के मौत के मामले में सरकार से मुआवजा पाने के लिए सबसे पहले मृतक का पोस्टमार्टम करवाना जरूरी होता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि दी जाती है। इसलिए सबसे जरूरी है कि सर्पदंश के मौत के मामले परिजनों को चाहिए कि वे मृतक का पोस्मार्टम अवश्य करवाएं।
सर्पदंश से हो मौत तो तुरंत लेखपाल को करें सूचित
सर्पदंश के मामले में मुआवजा राशि पाने के लिए मृतक के परिजनों को मात्र दो काम करने होते हैं। इसके बाद आगे का काम जिला प्रशासन करता है। वे कहती हैं पहला काम ये है कि अगर किसी की मौत सर्पदंश से हुई है तो उसके परिजन सबसे पहले लेखपाल को सूचित करें। वहीं दूसरा काम ये है कि मृतक का पोस्टमार्टम करवाएं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अगर सर्पदंश से मौत की पुष्टि हुई है, तो उस रिपोर्ट को लेखपाल को दे दें। उसके बाद पूरा काम लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार और एडीएम के कार्यालय से होता है।
इस तरह होती है कार्रवाई
लेखपाल को जैसे ही सर्पदंश से मौत की जानकारी मिलती है वह पीड़ित के पति/पत्नी/पिता या पुत्र यानि जो उसका निकटतम संबंधी होता है उसका बैंक खाता नंबर, आधार कार्ड सहित अन्य जरूरी दस्तावेज एकत्र करता है। इसके बाद इनक कागजों को अग्रीम कार्रवाई के लिए भेज देता है। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आते ही फाइल बनाकर तहसीलदार को भेज दी जाती है, जहां से एसडीएम से अनुमति मिलते हुए एडीएम फाइनेंस एंड रेवेन्यू के पास आती है और जिले के कोष से पैसा तत्काल भेजने के आदेश दिए जाते हैं।
दो दिन के अंदर खाते में आ जाती है मुआवजे की रकम
डा: रजत गुप्ता बताते हैं कि सांप के काटने से हुई मौत को आपदा से हुई मौत माना गया है। ऐसे में प्रदेश सरकार के नियमानुसार 48 घंटे यानीकि दो दिन के अंदर सभी कार्रवाई पूरी कर मुआवजे की राशि पीड़ित के सबसे नजदीकी संबंधी के खाते में भेज दी जाती है। ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।
अगर लेखपाल न सुने तो एसडीएम के पास करें शिकायत
डा: रजत गुप्ता कहते हैं कि संर्पदंश के हुई मौत के मामले में अगर लेखपाल लापरवाही करे या 48 घंटे में पैसे न आएं तो सीधे एसडीएम के पास भी शिकायत की जा सकती है। वे कहते हैं कि अगर शहरी क्षेत्रों भी ऐसे मामले आते हैं मुआवजे के लिए एसडीएम के पास आवेदन किया जा सकता है।