the jharokha news

मैनेजमेंट गुरु हैं भगवान शिव

मैनेजमेंट गुरु हैं भगवान शिव

 

किसी भी परिवार, संस्‍थान या देश को चलाने के लिए एक कुशल मुखिया, कुश मैनेजर या कुशल नेतृत्‍व की जरूरत पड़ती है।  एक ऐसा मैनेजर जो लाख भिन्‍नताओं, विषमताओं के बावजूद सबको साथ लेकर चले। यानि कुशल मैनेजमेंट की आवश्‍यकता होती है। देखा जाय तो इस मामले में भगवान शिव से अच्‍छा मैनेजर दूसरा कोई और नहीं है।  क्‍योंकि शिव परिवार इसका जिवंत उदाहरण है।

एक दूसरे के बैरी, फिर भी रहते हैं साथ  

यदि हम हिंदू धर्म और धर्मशास्‍त्रों पर विश्‍वास करते हैं तो शिव परिवार के बारे में अवश्‍य जानते होंगे।  भगवान शिव का परिवार विविधताओं से भरा हुआ है।  इस परिवार में रहने वाले हर सदस्‍य की प्रकृति और प्रवृत्ति एक दूसरे से भिन्‍न है।  यहां तक कि एक दूसरे के परम शत्रु होते हुए भी सब साथ रहते हैं।  यह भगवान शिव का कुशल मैनेजमेंट ही है कि कभी किसी में मिसकम्‍यूनिकेशन नहीं होती।  सांप, मोर, शेर, बैल, मूषक आदि शिव परिवार के हिस्‍सा हैं।  ये सभी जीव एक दूसरे के बैरी हैं।  फिर भी एक साथ रहते हैं।

  कारों का कामेश्वर नाथ मंदिर, यहीं भस्म हुए थे कामदेव; शिवरात्रि के दिन लगता है भव्य मेला

कुशल मैनेजमेंट का करिश्‍मा सांप और चूहा साथ-साथ

शिव परिवार का हिस्‍सा मूषक गणपति का वाहन है और इसका शत्रु सर्प है।  सांप भगवान शिव के गले का हार तो मोर भगवान कार्तिकेय का वाहन।   जबकि शर्प और मोर की शत्रुता सभी जानते है।  सांप को देखते ही मोर झपट पड़ा है और उसे अपना आहार बना लेता है।  इसी तरह नंदी महायोगी शिव का वाहन है तो शेर शक्ति स्‍वरूपा मां जगदंबा का। शेर और बैल दोनो साथ रहते हैं।  यह कुश मैनेजमेंट का करिश्‍मा नहीं है तो और क्‍या है। यानि विष और अमृत दोनो एक साथ एक ही व्‍यक्ति के पास।

विसंगतियों के संतुलन का उत्‍तम उदाहरण

कहा जाता है कि हमेशा भूत-पिशाचों से घिरे रहने वाले शिव-पार्वती के साथ चौपड़ भी खेलते हैं, भांग भी घोटते हैं। समाधि में रहते हैं।  चिता की राख भी लपेटते हैं।  नर मुंडों की माला भी गले में होती हैं तो जटा में गंगा और माथे पर चांद चमकता है।  गणपति माता-पिता की परिक्रमा करने को विश्व-भ्रमण के समकक्ष मानते हैं। एक को  भांग पसंद है तो दूसरे को मोदक।  विपरीतताओं, विसंगतियों और असहमतियों के बावजूद सब कुछ सुगम है, क्योंकि परिवार के मुखिया ने सारा गरल (विष) तो खुद पी लिया है। असंतुलन में भी संतुलन का बढ़िया उदाहरण है शिव का परिवार। कहा जाता है औ जिस घर में शिव परिवार का चित्र लगा होता है वहां आपस में पारिवारिक एकता, प्रेम और सामंजस्यता बनी रहती है।

  ताड़का का वध करना नहीं चाहते थे श्रीराम

भगवान शिव से लें सीख

सामाजिक विषमताओं, विपरित परिस्थितयों से परेशान व्‍यक्ति चाहे वह घर का मुखिया हो या किसी मिल का मालिक या मैनेजर।   हर किसी को भगवान शिव से सीख लेनी चाहिए।  भगवान शिव का परिवार यह सीख देता है कि विभिन्‍न प्रकृति, प्रवृत्ति के लोगों को साथ लेकर केसे  चला जा सकता है।  जो लोग शिव को आत्‍मसात कर लेते हैं वे साक्षात परम सत्‍य को प्राप्‍त कर लेते हैं। और जो परम सत्‍य को जान लेता है फिर वह अल्‍मस्‍त फकीर की तरह रामधुन में लग जाता है।
प्रस्तुति : समीर मिश्र, अमृतसर








Read Previous

महिला ने लगाया छेड़छाड़ व मारपीट का आरोप, कहा- राजनीतिक दबाव में पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

Read Next

नहर में मिली सिर कटी लाश, फैली सनसनी

Leave a Reply

Your email address will not be published.