रजनीश कुमार मिश्र गाजीपुर। तीन दिनों से चल रहे छठ पर्व का आज से प्रथम अर्घ्य शुरू हो गया जो अगले दिन मंगलवार को सुर्य उदय के साथ इस महा पर्व का समापन हो जायेगा। सोमवार को वर्ती महिलाएं अपने घर से छठी मईया जैसे सुमंगल गीत गाते हुए अपने घरों से जब निकलती और पीछे से पुरुष व बच्चे सिर पर डौरी व कंधे पर गन्ने लिए जब घरों से बाहर निकले तो आस्था का सैलाब सड़कों पर देखने लायक था । इसके साथ ही तालाबों व गंगा घाटों पर वर्ती महिलाओं का मनोरम दृश्य ऐसा लगता है की मानो स्वर्ग से सभी देवी देवता स्वर्ग से निचे उतर आये हो । गाजीपुर जनपद के बाराचवर गांव समेत मांका मोहम्मदपुर के तालाबों पर छठ के प्रथम अर्घ्य के समय मेले जैसा दृश्य बन गया था । तालाबों के चारों तरफ मंगल गीत से गुजमान हो रहा था । मान्यताओं के अनुसार

माता सीता ने भी छठ का व्रता रखा और सूर्य की पूजा की थी। महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि द्रोपदी ने भी सूर्य की उपसना की थी। इसके अलावा स्वयं सूर्य पुत्र कर्ण भी गंगा स्नान के बाद घंटों कमर तक जल में खड़े रह कर सूर्य की उपासना करते थे। यह भी मान्यता है कि मगध नरेश जरासंध ने भी अपने कुष्ठ रोग को दूर करने के लिए ज्योतिषियों की सालाह पर गंगा के जल में खड़े रह कर सूर्य की पूजा किया करता था।
