पेंनशनर्स को अब हर साल जिला मुख्यालय पर कोषागार सहित अन्य संबंधित विभागों में उपस्थित हो कर जीवित प्रमाण पत्र देना होता है। इससे वुजुर्ग पेंशनर्स को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसे देखते हुए डाक विभाग ने पेंशनर्स को घर बैठे डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र देने की सुविधा शुरू की है। इसकी जिम्मेदारी विभाग डाकियों को सौंपी है। इस सुविधा को पाने के लिए पेंशनर्स को विभाग द्वारा निर्धारित शुल्क अदा करना होगा।
इसलिए उठाया गया कदम
विभागीय अधिकारियों के अनुसार जीवित प्रमाणपत्र अभियान 3.0 का मुख्य उद्देश्य यह तय करना है कि सभी पेंशनर्स, खासतौर से दूरदराज के गांवों में रहने वाले लाभार्थियों को हर वर्ष जिला मुख्यालय कोषाकार में पहुंच कर जीवित प्रमाण दे होता है। इसस बुजुर्ग पेंशनर्स को पैसा, समय और शारीरिक श्रम लगता था। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणत्र जारी करने का फैसला लिया गया। जीवन प्रमाणपत्र का डिजिटली करण होने से पेंशनर्स आसानी से अपना जीवित प्रमाणपत्र ट्रेजरी में जमा कर सकें।
डाकबाबू देंगे सेवा
पेंशनभोगियों को समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने डाक विभाग और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ मिलकर डाकिए और ग्रामीण डाक सेवकों के नेटवर्क से डाकघरों और पेंशनभोगियों के घर पहुंचकर डिजिटल जीवित प्रमाणत्र की सेवाएं देंगे।
इस तरह उठा सकते हैं सेवा का लाभ
डिजिटल जीवित प्रमाणपत्र सेवा का लाभ उठाने के लिए पेंशनर्स को अपने पास के डाकघर, डाकिया या ग्रामीण डाक सेवक से संपर्क करना होगा। इसके बाद पेंशनर्स के दिए गए पते पर पहुंच कर डाकिया पेंशनर्स का डिजिटल जीवित प्रमाण पत्र बनाते हैं। इसके लिए डाकिया अपने स्मार्ट डिजिटल मोबाइल से डाटा आनलाइन कर देते हैं।
70 रुपये देने होंगे शुल्क
डिजिटल जीवित प्रमाणपत्र बनवाने के लिए पेंशनर्स 70 रुपये सुविधा शुल्क के रूप में डाकिए को देना होगा। यह सुविधा शुल्क डाक विभाग की तरफ से निर्धारित किया गया है। इस सेवा के लिए पेंशनर्स को आधार कार्ड नंबर और पेंशन का विवरण देना होगा। प्रक्रिया पूरी होने पर पेंशनभोगी के मोबाइल नंबर पर पुष्टिकरण का संदेश मिलेगा।