प्रयागराज । चचा जान यानी सपा नेता आजम खाने के लिए सोमवार का दिन ठीक नहीं रहा। क्योंकि आजम खां को एक नहीं बल्कि दो झटके एक साथ लगे। पहला झटका तब लगा जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रेस्ट की याचिका खारिज कर दी। इसके तुरंत बाद रामपुर की MP MLA कोर्ट ने आजम खान को सात साल की सजा सुना दी, बाकि अन्य दोषियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। यह सजा डूंगरपुर प्रकरण में हुई है।
बता दें कि तत्कानील मुलायम सिंह और अखिलेश यादव की सरकार में जिस आजम खां के एक इशारे पर प्राशन हिल उठता और पुलिस से लेकर सिविल प्रशसन तक के अधिकारियों की पतलून गीली हो जाती थी उसी जाम खाने को एमपी एमलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुना दी है।
उल्लेखनीय है कि 4,506, 447 और 120B के तहत आजम खां और अन्य को दोषी करार दिया गया था। इस मामले में आजम खान, पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर अहमद खां, ठेकेदार बरकत अली और रिटायर्ड सीओ आले हसन दोषी पाए गए हैं। इन चारों अभियुक्तों को सोमवार को MP MLA कोर्ट ने पांच-पांच साल और आजम खां को सात साल की सजा चुनाई। सजा सुनाए जाने के दौरान आजम खान की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल से पेशी हुई।
यह था पूरा मामला
बाता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार में डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे। यहां पहले से ही कुछ लोगों के मकान बने हुए थे और लोग उसमें रह रहे थे। आजम पर आरोप था कि सरकारी जमीन पर बताकर वर्ष 2016 में इन मकानों को तोड़ दिया गया था। इस मामले में पीड़ित परिवारों ने आजम लूटपाट का आरोप भी लगाया था। साल 2019 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार बन गई। इसके बाद रामपुर के गंज थाने में इस मामले में कई मामले पीड़ितों की ओर से दर्ज करवाए गए थे। आरोप लगाया कि तत्कालीन सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस और सपाइयों ने आसरा आवास बनाने के लिए उनके घरों को जबरन खाली कराया था और उनके मकानों को ध्वस्त करवा दिया था।