समीर ‘ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ॥ अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि । …
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समीर : जीवन पर्यंत मर्यादाओं में बंधे श्री राम यदि मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो केवल अपनी मार्यादाओं की सीमा में रहने के कारण। भगवान श्री राम की महिमा का बखान …