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भगवान को चढ़ाना है पान तो इन बातों का रखें ध्‍यान

भगवान को चढ़ाना है पान तो बातों का रखें ध्‍यान

 

भगवान को चढ़ाना है पान तो बातों का रखें ध्‍यान
पान । स्रोत सोशल साइट्स

डेस्‍क
सनातन धर्म में दिन की शुरुआत हो या कोई मांगलिक कार्य। भगवान की पूजा के बिना शुरू नहीं होता। आदि से अंत, यानी सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक भगवान की पूजा होती है। भगवान की पूजा-अर्चना में अन्‍य पूजन सामग्रियों के साथ-साथ पान भी चढ़ाया जाता है। पान को शुद्ध व पवित्र माना जाता है ।

पान को पूजा में लाने से पहले उसके बारे जान लेना आवश्‍यक है। पान के धार्मिक महत्‍व की बात करें तो पान के पत्ते के ऊपरी भाग में इन्द्र और शुक्र का वास होता है। जबकि, पत्‍ते के मध्य भाग में सरस्वती और इसके निचले भाग में माता लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। इसके अलावा पान के पत्‍ते के दो हिस्सों को जो एक नली से जोड़ता है उसके अंदर देवाधिदेव भगवान शिव का वास माना गया है। जबकि, पान की इस डंडी के बाहर कामदेव का वास बताया गया है।
कहा जाता है कि माता पार्वती व मंगला देवी पान के पत्ते के बाईं ओर रहती हैं । जबकि पान अर्थात तांबुल के दाहिनी ओर माता पृथ्‍वी विराजमान रहती हैं। वहीं मान्‍यता है कि पान के पत्‍ते पर सर्वत्र भगवान भास्‍कर विराजमान रहते हैं। यही नहीं मान की उत्‍पत्ति भी स्‍वर्ग से बताई गई है। कहा जाता है कि देव पत्र होने कारण पान को चबाने से पहले उसका अग्र भाग तोड़ कर जमीन गिरा दिया जाता है। उसकी पहली पीक भी धरती पर नहीं डाली जाती।

  सभी धर्मों में सर्व मान्‍य है त्रिदेवों की सत्‍ता

पंडित नंद किशारे मिश्र के अनुसार पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मान्‍यता है कि देवताओं ने समुद्र मंथन के दौरान पान का प्रयोग किया था। इसके बाद से ही तांबुल को देव पूजन के दौरान अन्‍य सामग्रियों के साथ प्रयोग में लाया जाने लगा। वे कहते हैं पान औषघीय गुणों से परिपूर्ण होने के साथ-साथ नकारात्मक ऊर्जा दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। यही नहीं पान भारतीय जीवन शैली में अनादि काल से रचाबसा है।

एक पान, कई नाम

देखने में पीपल या गिलोय के पत्तों सरीखा लगने वाला पान कई नामों- जैसे संस्कृत में नाग वल्ली, ताम्बूल, बंगाली में पान, मराठी में पान-बिड़याचैपान, गुजराती में नागरबेल, तेलगु में तमलपाक, कन्नड़ में विलयादेले, मलयालम में बेल्लिम और हिंदी में पान या ताम्बूली आदि नामों से जाना जाने वाला यह पान वानस्पतिक भाषा में ‘ पाईपर बीटल’ कहा जाता है।

पूजा के लिए ला रहे हैं पान तो यह रखें ध्‍यान

पं: आत्‍म प्रकाश शास्‍त्री कहते हैं पूजा में पानी प्रमुख होता है। इस लिए जब भी कभी पूजा के पान बाजार लाते हैं तो इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए-

  • भगवान को चढ़ाने के लिए पान के पत्‍ते खरीदने से पहले यह अवश्‍य जांच ले कि पान के बीच का भाग या पान का पत्‍ता कहीं कटा-फटा न हो। और ना ही चमकदार होना चाहिए।
  • इस बात का भी खास ध्‍यान रखना चाहिए कि पूजा के लिए खरीदे जाने पाले पान के पत्‍ते में किसी तरह का कोई छेद न हो। क्‍योंकि इस तरह के पत्‍तों को भगवान स्‍वीकार नहीं करते और आप की पूजा अधूरी रह जाती है।
  • बरई से पूजा के लिए पान के पत्‍ते लेते समय यह जरूर ध्‍यान रखें कि पान का पत्‍ता पका न हो और ना ही सूखा हो। हमेशा हरे पत्‍तों का प्रयोग करने नहीं तो आपकी पूजा अधूरी रह जाएगी।
  • भगवान की पूजा में डंठल वाला पान इस्‍तेमाल किया जाता है। इसलिए यह आवश्‍यक है कि जब भी आप पूजा के लिए बाजार से पान खरीदने जाएं तो बरई या पनहेरी से डंठल वाला कच्‍चा पान ही लें।







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