the jharokha news

भारत में तीन हजार साल पुरानी है आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्धति

भारत में तीन हजार सारल पुरानी है आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्धति

 

फिचर डेस्‍क

आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे पुरानी समग्र (“पूरे शरीर”) चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह भारत में 3,000 से अधिक साल पहले विकसित किया गया था। मान्‍यता है कि लगभग ८०० ईसापूर्व भारत में चिकित्सा एवं शल्यकर्म पर पहला ग्रन्थ का निर्माण हुआ था। यह इस विश्वास पर आधारित है कि स्वास्थ्य और कल्याण मन, शरीर और आत्मा के बीच एक नाजुक संतुलन पर निर्भर करता है। इसका मुख्य लक्ष्य अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है, न कि बीमारी से लड़ना।

  History of Rajbhar: राजभर क्या राजपूत थे या जनजाति, सच्चाई जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

लेकिन,  उपचार विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं की ओर किया जा सकता है आयुर्वेद का मानना है कि ब्रह्मांड में सब कुछ – मृत या जीवित – जुड़ा हुआ है। यदि आपका मन, शरीर और आत्मा ब्रह्मांड के साथ तालमेल रखते हैं, तो आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। जब कोई चीज इस संतुलन को बाधित करती है, तो आप बीमार पड़ जाते हैं। जो चीजें इस संतुलन को परेशान कर सकती हैं उनमें आनुवांशिक या जन्म दोष, चोटें, जलवायु और मौसमी बदलाव, उम्र और आपकी भावनाएं हैं। आयुर्वेद के अनुसार, प्राकृत या किसी व्यक्ति का विशिष्ट व्यक्तित्व त्रिदोष – वात, पित्त और कफ के संयोजन से प्रेरित है।








Read Previous

गोलियाेें की तड़तड़ाहट से दहला गोरखपुर, मां-बेटी की मौत

Read Next

मर्द के पेट में बच्‍चेदानी!

Leave a Reply

Your email address will not be published.