Home देश दुनिया लाठी ग्रामीणों की पहचान, जाने सुप्रीम कोर्ट ने क्‍यों कहा

लाठी ग्रामीणों की पहचान, जाने सुप्रीम कोर्ट ने क्‍यों कहा

by Jharokha
0 comments

नई दिल्‍ली : लाठी को हत्‍या का हथियार नहीं कहा जा सकता। यह ग्रामीणों की पहचान है और उनकी संस्‍कृति से जुड़ी है। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कही। हत्‍या की एक धारा की सुनवाई करते हुए तीन सदस्यीय जजों की पीठ ने यह टिपण्णी की और इसे गैर इरादतन हत्या की धारा में बदल दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के जेल में रहने की अवधि को सजा मानते हुए उसे तत्‍काल रिहा करने का आदेश भी दिया।

यह कहा, जजों की पीठ ने

करीब 16 साल पहले जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने वीरवार को छत्तीसगढ़ के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गांव के लोग लाठी लेकर चलते हैं, जो उनकी पहचान है। लेकिन इसे सामान्य तौर पर हमला करने या हमले का हथियार नहीं माना जा सकता। जस्टिस आरएफ नरीमन, इंदिरा बनर्जी और नवीन सिन्हा की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि मामले में आरोपी ने लाठी से सिर पर हमला किया। इसके बाद पीड़ित की दो दिन बाद मौत हो गई। ऐसे मामले में अदालत को हत्या के पीछे के कारण का पता लगाना चाहिए।

यह था मामला

मामले के अनुसार करीब 16 साल पहले जुगत राम पर आरोप था कि उसने जमीन विवाद में एक व्यक्ति के सिर पर लाठी से वार कर दिया। जिसकी वहज से दो दिन बाद उस व्‍यक्ति ने अस्‍पताल में दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने 302 के तहत केस दर्ज कर वर्ष 2004 में जुगत राम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। उस समय इस मामले की सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट ने जुगत राम को उम्रकैद की सजा सुना दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। इसके बाद इस फैसले को आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

 

Jharokha

द झरोखा न्यूज़ आपके समाचार, मनोरंजन, संगीत फैशन वेबसाइट है। हम आपको मनोरंजन उद्योग से सीधे ताजा ब्रेकिंग न्यूज और वीडियो प्रदान करते हैं।



You may also like

Leave a Comment

द झरोखा न्यूज़ आपके समाचार, मनोरंजन, संगीत फैशन वेबसाइट है। हम आपको मनोरंजन उद्योग से सीधे ताजा ब्रेकिंग न्यूज और वीडियो प्रदान करते हैं।

Edtior's Picks

Latest Articles