अनंत चतुर्दशी इस वर्ष 28 सितंबर वीरवार को पड़ रहा है। वैसे तो अनंत चतुर्दशी Anant Chaturdashi की शुरुआत 27 सितंबर की रात 8 बजकर 49 मिनट से हो जती है। अनंद चतुर्दशी हर साल भादों के महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया है। इस के दूसरे दिन से श्राद्ध यानी पितृ पक्ष की शुरुआत होती है।
अनंत चतुर्दशी Anant Chaturdashi भगवान विष्णु को समर्पित है। यह पर्व जैन धर्म में भी खास महत्व रखता है। क्योंकि अंतिम पर्यूषण पर्व इसी अनंत चर्तुदशी को मनाया जाता है। मान्यता है कि महाभारत में जब पांडवों ने जुए में अपना सबकुछ गंवा बैठे थे तब श्री कृष्ण ने उन्हें अनंत चर्तुदशी का व्रत रखने को कहा था।
अनंत चतुर्दशी की दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की अराधना करते हैं और अनंत भगवान की कथा सुनते हैं। इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत यानी जिसका कोई आदि और अंत न हो उसे अनंत कहते हैं,। और यह अनंत हैं श्रीहरि विष्णु। कहा जाता है इसी भद्रपद की चतुर्दशी को भगवान विष्णु ने 14 लोगों की रक्षा के लिए 14 रूप धारण किए थे, जिनका न कोई आदि था और ना ही अंत। तभी से अनंत चतुर्दशी Anant Chaturdashi मनाए जाने की परंपर शुरू हुई। और इन्हीं 14 रूपों का स्वरूप भी अनंत चतुर्दशी के दिन बांधे जाने वाले रक्षा सूत्र में होता है, जिसमें मंत्रों से अभिमंत्रित की हुई 14 गांठे लगी होती हैं। आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहुर्त।
भगवान विष्णु के 14 अंनत रूपों की होती है पूजा
पं: अनूप पांडे के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के 14 अंनत रूपों की पूजा की जाती है। इस दिन सनातन धर्म में विश्वाश रखने वाले लोग अनंत चतुर्दशी का व्रत रख कर अनंत भगवान की कथा का श्रवण करते हैं। इस दौरान संकल्प लेकर मंत्रों से अभिमंत्रित 14 गांठ वाले रक्षा सूत्र हाथों में बांधते हैं। पं: अनूप पांडे के अनुसार इसको बांधने से सभी तरह के संकटों का नाश होता है और घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है।
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त
पं: दया शंकर चतुर्वेदी के अनुसार 27 सितंबर बुधवार की रात को ही चतुर्दशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी। बुधवार की रात 8 बजकर 49 मिनट भाद्रपद की चतुर्दशी आरंभ हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 28 सितंबर वीरवार को को शाम 6: 32 मिनट पर हो रहा है। उदयातिथी के अनुसार अनंत चतुर्दशी Anant Chaturdashi का व्रत वीरवार 28 सितंबर को रखा जाएगा।