रजनीश कुमार मिश्र ( गाजीपुर) गाजीपुर जनपद के सीएमओ आफिस में तैनात स्टेनो अनील चौबे को एंटीकरप्शन वाराणसी की टीम चालीस हजार घूस लेते रंगे हाथों पकड़ लिया । व कोतवाली लेकर चली आई जहां. स्टेनो अनील चौबे के उपर कागजी कार्रवाई पुरी कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। बतादें की गाजीपुर के सीएमओ आफिस का स्टेनो अनील चौबे लाइसेंस रिन्यूअल के नाम पर जनपद के ही विजय विक्रम नामक व्यक्ति से चालीस हजार का रिश्वत की मांग की थी। विजय विक्रम ने इसकी शिकायत एंटीकरप्शन टीम से कर दी । एंटीकरप्शन की टीम ने घूसखोर बाबू को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया ।
एंटीकरप्शन टीम द्वारा जाल में फसाने के लिए घूसखोर बाबू को विजय विक्रम ने रुपये देने के लिए पीजी कॉलेज बुलाया सीएमओ आफिस के स्टेनो अनील चौबे पीजी कॉलेज आकर जैसे ही चालीस हजार पकड़ा वैसे ही एंटीकरप्शन ने रुपये लेते रंगे हाथ बाबू को पकड़ लिया । एंटीकरप्शन ने जैसे ही स्टेनो बाबू अनील चौबे को पकड़ा तो अनील चौबे के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगा । कि आखिर मोटी रकम लेने की बात एंटीकरप्शन वालों को कैसे पता लग गया । बहरहाल एंटीकरप्शन की टीम ने रिश्वतखोर अनील चौबे को पकड़ कर शहर कोतवाली लेकर चले गये । जहां उसके विरुद्ध कागजी कार्रवाई की गई।
महिनों से चक्कर लगवा रहे थे बाबू
पीड़ित विजय विक्रम ने बताया की फाईल निस्तारण को लेकर मैं महिनों से सीएमओ आफिस का चक्कर लगा रहा था । लेकिन स्टेनो अनील चौबे फाईल को आगे बढ़ाने का नाम नहीं ले रहे थे । विजय ने बताया की फाईल को आगे बढ़ाने के लिए अनील ने मुझसे चालीस हजार रुपये का मोटी रकम की मांग कर दी । जिसकी शिकायत मैने एंटीकरप्शन की टीम से की एंटीकरप्शन की टीम ने अनील चौबे को पकड़ने के लिए चालीस हजार रुपये देने के लिए कहां था ।
चालीस हजार में कितने हिस्सेदार
चालीस हजार का मोटी रकम लेते हुए अनील चौबे तो पकड़ा गया यहां तक तो ठीक है । लेकिन सवाल अब ये उठता है, की चालीस हजार रूपये सिर्फ अनील चौबे ही डकारें गा या इसमें और लोग हिस्सेदार है । इसकी जांच तो जिलाधिकारी को अवश्य कराना चाहिए क्योंकि अनील चौबे जैसे लोग बली का बकरा बनते है । और इनके उपर के लोग बच जाते है । ये सिर्फ एक विभाग की बात नहीं है । हर विभाग में ऐसे लोग है ।