the jharokha news

Communist Party, सिद्धांतों से नहीं किया समझौता, जीवनभर बुलंद करते रहे कम्यूनिस्ट पार्टी का झंडा

Communist Party, सिद्धांतों से नहीं किया समझौता, जीवनभर बुलंद करते रहे कम्यूनिस्ट पार्टी का झंडा

 

द झरोखा न्यूज, बाराचवर (गाजीपुर Ghazipur) । सिद्धांतों से नहीं किया समझौता, जीवनभर बुलंद करते रहे (Communist Party) कम्यूनिस्ट पार्टी का झंडा पूर्वी उत्तर प्रदेश का जिला गाजीपुर Ghazipur अपने आप में निराला है। गंगा की पानी की तरह इसका भी कोई अपना रंग नहीं है। जिस रंग में मिला दो बस उसी रंग का हो कर रह जाता है। कभी अफीम और गुलाब की खेती के लिए प्रसिद्ध गाजीपुर ब्रिटिश काल से ही सियासत और सिपाही के लिए सात संदर पार तक मशहूर रहा है। यह मशहूरी आज भी है। अगर पूर्वांचल की सियासत की बात करें तो गाधीपुरी से गाजीपुर बन चुके इस जिले के लोग कम्यूनिस्ट विचार धारा के रहे हैं। तभी तो यहां ‘उल्टी गंगा’ बहती हैं। यानि गाजीपुर Ghazipur जिले का इतिहास रहा है कि यहां का सांसद हमेशा विपक्ष का चुन कर जाता है। चाहे वह जमाना पंडित जवाहर लाल नेहरू का रहा हो या अब नरेन्द्र मोदी का।

करीब 25,27071 की जनसंख्या वाले गाजीपुर Ghazipur जिले की ग्रामीण आबादी 91.21 प्रतिशत और शहरी आबादी 8.79 प्रतिशत हैं। इन 25 लाख 27 हजार लोगों में से एएससी 20.51 प्रतिशत और एसटी 0.69 प्रतिशत हैं। जिले के संसदीय इतिहास की बात करें तो 1957 में लोकसभा के लिए हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के हरप्रसाद सिंह चुने गए थे। इसके बाद गाजीपुर की संसदीय सीट से दो बार 1967 और 1971 तक कम्यूनिस्ट पार्टी एस पांडेय यानी सरयू पांडे रहे। और इन्हीं सरयू पांडे की क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित हो कर गांव बाराचवर Barachawar विश्वनाथ चौहान ने भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (Communist Party) से जुड़ गए। विश्वनाथ चौहान पार्टी के ऐसे कर्मठ कार्यकर्ता और पदाधिकारी रहे की जीवन पर्यंत तक पार्टी झंडा बुलंद करते रहे।

विचारधारा अलग-अलग पर परस्पर प्रेम बना रहा

विश्वनाथ चौहान को करीब से जानने वालों का कहना है कि वह खांटी कामरेड थे। पार्टी के लिए पूरी तरह समर्पित थे। इसके साथ ही वह आपसी संबंधों को भी ध्यान में रखते थे। विश्वनाथ चौहान के पौत्र एडवोकेट जुगलेस चौहान कहते हैं कि जब जहूरबाद विधानसभा का पहली बार  1977 में  होने वाले चुनाव में उन्हें कम्यूनिस्ट पार्टी से टिकट दिया गया तो उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। इसके पीछे उनका तर्क था कि उन्हीं के गांव बाराचवर Barachawar की उन्हीं के हमनाम विश्वनाथ सिंह जेएनपी चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में वह उनके खिलाफ चुनाव नहीं लडे़गें। इससे परस्पर संबंध खराब होंगे। उन्होंने बताया कि दादा जी यानि विश्चनाथ चौहान के चुनाव लड़ने से मना करने पर कम्यूनिस्ट पार्टी ने खजूरगांव के जयराम सिंह को टिकट दे दिया।

  यह जानकर आप रह जाएंगे हैरान, कितना कमाते हैं आपके गांव के प्रधान

चुनाव नहीं लड़े पर पार्टी का प्रचार खूब किया

पहले ही विधानसभ चुनाव में आपसी संबंधों को खराब न होने देने के वजह से पार्टी का टिकट ठुकरा चुके विश्वनाथ चौहान ने कम्यूनिस्ट पार्टी का प्रचार खूब किया। Barachawar बाराचवर के ही पूर्व ग्राम प्रधान योगेंद्र चौहान ने बताया कि कामरेड विश्वनाथ चौहान ने चुनाव तो नहीं लड़ा पर जयराम सिंह के चुनाव प्रचार खूब किया। उन्होंने बताया कि उस समय गरीबी बहुत थी। परिवहन के साधन संपन्न लोगों के पास ही थे। ऐसे में विश्वनाथ चौहान ने साईकिल और पैदल चल कर पार्टी का चुनाव प्रचार किया। और जब रिजल्ट आया तो भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (Communist Party) के जयराम सिंह चुनाव जीत गए और विश्वनाथ सिंह दूसरे स्थान पर रहे। उन्होंने बताया कि विश्वनाथ सिंह और कामरेड विश्वनाथ चौहान दोनो परम मित्र थे।

पार्टी फंड के लिए मांगते थे चंदा

Barachawar बाराचवर के लोगों ने विश्वनाथ चौहान को याद करते हुए बताया कि कामरेड साहब का स्वभाव सरल था। वह पार्टी फंड के लिए घर-घर जा कर चंदा एकत्र करते थे। उस जमाने में एक दो रुपये का चंदा देना बहुत बड़ी बात होती थी। और उसकी चंदे के पैसे पार्टी चुनाव लड़ती थी।

पार्टी के अधिवेशन के लिए लोगों से मांगते थे अनाज

नंद किशोर मिश्र ने बताया कि कामरेड विश्वनाथ चौहान पार्टी को इतने समिर्पत थे कि उनका कोई और मिशाल नहीं है। उन्होंने बताया कि एक बार 1980 में Barachawar बाराचवर गांव में कम्यूनिस्ट पार्टी का अधिवेशन था। इसमें प्रदेश और जिला स्तर के बड़े नेताओं का आना था। इसके लिए विश्वनाथ चौहान ने चंदे रूप में लोगों गेहूं, चावल, दाल और आलू मांग कर पार्टी के नेताओं के लिए भोजन का प्रबंध किया था।

परिवार का ही कर दिया था बहिष्कार

एडवोकेट युगलेश चौहान बताते हैं कि 1984-85 का दौर था। उन्हें याद आता है, जब पूरा परिवार बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गया था तो उनके दादा जी यानि कामरेड विश्वनाथ चौहान को गहरा सदमा पहुंचा था। परिवार में बगावत हो गया। लोगों के लाख कहने के बावजूद विश्वनाथ चौहान ने कम्यूनिस्ट पार्टी को नहीं छोड़ा। वे कहते थे कि अगर मैं पार्टी छोड़ दूं तो मुझसे बड़ा विश्वासघाती कोई और नहीं होगा। और वह पूरे परिवार एकलौते ऐसे व्यक्ति थे कम्यूनिस्ट का झंडा बुलंद किए रखा और चुनावों में उन्होंने बसापा को वोट न दे कर (Communist Party) कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी को वोट दिया था।

जब सांसद सरयू पांडे ने दी थी साइकिल

कामरेड विश्वनाथ चौहान को जानने वाले लोगों ने बताया कि गाजीपुर के सांसद कामरेड सरयू पांडे विश्वनाथ चौहान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक साइकिल खरीद कर विश्चनाथ चौहान को भेंट किया। विश्वनाथ चौहान वसूलों के इतने पक्के थे कि उन्होंने साइिकल लेने से मना कर दिया। लेकिन खुद सरयू पांडे ने उनके घर आकर उन्हें समझा कि यह साइकिल आप को इस लिए भेंट की जा रही है कि आप इससे पार्टी का चुनाव प्रचार कर सकें। तब कहीं जा कर कामरे विश्वनाथ चौहान ने साइकिल लेना मंजूर किया।

  बारचवर ब्लाक की छह सड़कें बनेंगी चकाचक, देखें पूरी लिस्ट

विश्वनाथ शास्त्री का किया था चुनाव प्रचार

1989 में गाजीपुर से कम्यूनिस्ट पार्टी के आखिरी सांसद रहे विश्वनाथ शास्त्री का चुनाव प्रचार भी विश्वनाथ चौहान ने अपनी साइकिल से ही किया। इस चुनाव में विश्वनाथ शास्त्री भारी वोटों से चुनाव जीत गए। शास्त्री गाजीपुर लोकसभा से भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के अंतिम सांसद साबित हुए। इसके बाद से जिले में कम्यूनिस्ट पार्टी का अवसान शुरू हो गया। और अब कम्यूनिस्ट पार्टी का प्रत्याशी पांचवें या छठवें स्थान पर आता है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ Barachawar ब्लॉक मुख्यालय पर धरने पर बैठ गए थे कामरेड विश्वनाथ चौहान

बाराचवर Barachawar गांव के लोग बताते हैं कि ब्लाक में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ विश्वनाथ चौहान और हरदेव यादव भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। यह आमरण अंसन करीब 15 दिन जारी रहा। उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था। यह खबर जब मोहम्मदा बाद के कम्यूनिस्ट पार्टी के विधायक अफजाल अंजारी जो मौजूदा समय में बसपा से गाजीपुर के सांसद हैं, ने पहुंच कर उनका अनसन तोड़वाया और ब्लाक से भ्रष्टाचार को खत्म करवाया।

अफजाल के पार्टी छोड़ने पर सुनाई थी खरी खरी

कहा जाता है कि मोहम्मदा बाद से कम्यूनिस्ट पार्टी के टिकट और चुनाव निशान हंसिया बाल पर 1985 और 1993 में दो बार के विधायक रहे अफजाल अंसारी ने जब पार्टी छोड़ कर समाज वार्दी पार्टी में शामिल हुए तो उस समय कामरेड विश्वनाथ चौहान इतने दुखी हुए कि वह अफजाल के मोहम्मदाबाद स्थित उनके घर पहुंच गए। वहां पहुंच कर उन्होंने अफजाल को खरी खरी सुनाई। इस दौरान अफजाल ने विश्वनाथ चौहान को भी सपा में सामिल होने और पार्टी में अच्छा ओहदा दिलाने का भरोसा दिया, लेकिन विश्वनाथ चौहान टस से मस नहीं हुए और मरते दम तक जहूराबाद विधानसभा में अकेले कम्यूनिस्ट पार्टी का झंडा बुलंद करते रहे।

गाजीपुर से कम्यूनिस्ट पार्टी के सांसद

1967 सरयू पांडेय
1971 सरयू पांडेय
1991 विश्वनाथ शास्त्री

कम्यूनिस्ट पार्टी के विधायक

1985 से 91 तक अफजाल अंसारी
1991 से 1993 तक अफजाल अंसारी
– विधानसभा क्षेत्र मोहम्मदाबाद
1977 जयराम – विधानसभा जहूराबाद
1996 राजेन्द्र भाकपा- विधानसभा गाजीपुर सदर








Read Previous

मुख्तार अंसारी का करोड़ो की संपत्ति को किया गया कुर्क

Read Next

चाची ने भतीजे से बनाया शारीरिक संबंध, बदले में एड्स का “गिफ्ट”