Home उत्तर प्रदेश धान के सीधी बुवाई किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी : डा. नरेंद्र

धान के सीधी बुवाई किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी : डा. नरेंद्र

कृषि वैज्ञानिक डा: नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि धान की सीधी बिजाई से पानी की खपत कम होती है और धान की बैदावार भी अधिक होती है, डा: नरेंद्र ने कहा कि जमाव से पूर्व खरपतवार नियंत्रण हेतु पैडीमैथालीन 30 ईसी (1.3 लीटर/एकड़) या प्रेटीलाक्लोर सेफनर सहित 30.7 ईसी (सोफिट 650 मिली/एकड़) का बुवाई के दिन ही छिड़काव करें

by Jharokha
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Direct sowing of paddy is economically beneficial for farmers: Dr. Narendra

गाजीपुर । आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कार्यक्षेत्र गाजीपुर में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ नरेन्द्र प्रताप ने धान की सीधी बुवाई की विधि एवं उसके महत्त्व के बारे में जनपद कृषकों को जानकारी दी।
इस दौरान उन्होंने कहा कि धान की सीधी बुवाई एक ऐसी तकनीक है जिसमें धान की रोपाई न कर के धान को सीधा मशीन से खेत में बोया जाता है। धान की सीधी बुवाई प्रकार से कर सकते हैं, पहली नम विधि जिसमें बुवाई से पहले एक गहरी सिंचाई करते है और जब खेत जुताई करने के योग्य हो तब दो से तीन जुताई एवं एक पाटा और इसके तुरंत बाद सीड ड्रिल द्वारा बुवाई करके हल्का पाटा लगाते हैं ।

डा: नरेंद्र प्रताप ने कहा कि इस विधि से बुवाई शाम के समय करनी चाहिए जिससे नमी का कम से कम ह्यास हो और नमी मिटटी में संरक्षित रहें । और दूसरी सुखी विधि जिसमें बुवाई के लिए खेत में उपलब्ध नमी पर ही खेत की दो से तीन जुताई कर पाटा लगाकर तैयार करते है। इसके बाद मशीन से बुवाई करते है और जमाव के लिए वर्षा का इंतजार करते हैं, समय से वर्षा न होने पर सिंचाई करते है।

20 मई से 30 जून तक होती है सीधी बुआई

उन्होंने कहा कि सीधी बुवाई के लिए जीरो टिलेज कम फर्टीलाईजर ड्रिल (जीरो टिलेज मशीन) या सीड ड्रिल का प्रयोग कर सकते हैं। धान की सीधी बुवाई का उपयुक्त समय 20 मई से 30 जून तक होता है । यदि 30 जून के बाद बुवाई करनी है तो कम अवधि वाली प्रजातियों का चयन करना लाभकारी होता है ।

इन बातों का रखें ध्यान

सीधी बुवाई के लिए सामान्य प्रजातियों का 10 से 12 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ एवं संकर धान की 8 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। जमाव से पूर्व खरपतवार नियंत्रण हेतु पैडीमैथालीन 30 ईसी (1.3 लीटर/एकड़) या प्रेटीलाक्लोर सेफनर सहित 30.7 ईसी (सोफिट 650 मिली/एकड़) का बुवाई के दिन ही छिड़काव करें। जमाव के बाद खरपतवार के अनुसार जैसे नरकट, चौड़ी पत्ती या मोथा घास को नियंत्रित करने के लिए बिस्पाइरीबैक सोडियम 10 एस.एल. (100 मिली/एकड़) या बिस्पाइरीबैक सोडियम 10 एस.एल. + पाइराजोसल्फ्यूरान (100 मिली + 80 ग्राम) या फिनोक्सीप्रोप पी इथाइल सेपनर सहित इथाक्सीसल्फ्यूरान 500 मिली + 48 ग्राम/एकड़। यदि मकड़ा और कौआ घास अधिक है तब फिनोक्सीप्रोप पी इथाइल सेपनर सहित + इथाक्सीसल्फ्यूरान का प्रयोग बुवाई के 15 से 25 दिन बाद जब खरपतवार 3 से 4 पत्ती के हो 120 से 150 लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए ।

 

Jharokha

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