Dussehra 2024: यदी आपकी बाधाएं दूर नहीं हो रही हैं तो दशहरा के दिन शमी के पौधे पूजा करें। इससे बाधाएं तो दूर होंगी ही वनवांक्षित फल भी मिलेगा। हिंदू मान्यताओं और कथाओं के अनुसार दशहरा Dussehra के दिन शमी के पौधे या वृक्ष की पूजा करना अत्यंत ही शुभ और फलदायी मान माना गया।
मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीम ने रावण से युद्ध करने से पहले शमी वृक्ष की करके विजय की कामना की थी। यही नहीं महाभारत के अनुसार महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपने दिव्य अस्त्र और शस्त्रों को इसी शमी के पेड़ में छिपाए थे इन्हीं मान्यताओं के चलते दशहरा के दिन इस पेड़ के विधि-विधान से पूजा की जाती है। आइए जानते हैं शमी वृक्ष की पूजा कैसे की जाती है।
पूजा विधि -: शमी की पूजा करने के लिए व्यक्ति का पवित्र होना सबसे आवश्यक है। नित्यकर्म और स्नान के बाद सबसे पहले शमी के पौधे पर जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद चंदन, रोली, कुमकुम और पुष्प आदि चढ़ाकर शुभता की कामना करनी चाहिए। इसके बाद शमी के पौधे की पूजा धूप और दीप से करें और सबसे अंत में शमी की परिक्रमा करें।
किसे चढ़ाया जाता है शमी की पत्तियां
हिंदू मान्यता के अनुसार शमी की पत्तियां सोने से भी ज्यादा कीमती होती हैं, जिसे तमाम देवताओं को चढ़ाने पर चमत्कारिक फल प्राप्त होता है। जैसे शमी के पत्र को देवों के देव महादेव को चढ़ाने पर बेलपत्र चढ़ाने से 100 गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। इसी प्रकार शमी का पुष्प भी महादेव और भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है। भगवान शिव के अलावा शमीपत्र भगवान श्री गणेश जी और शनिदेव को चढ़ाया जाता है।
मान्यता है कि शमी की जड़ को यदि शनिवार के दिन काले कपड़े में बांह या गले में धारण किया जाए तो यह नीलम जैसे महंगे रत्न के समान शुभ फल देती है और ऐसा करने पर व्यक्ति की कुंडली में स्थित शनि दोष दूर होता है।