रजनीश कुमार मिश्र गाजीपुर । दस फरवरी दो हजार तेरह को इलाहाबाद स्टेशन जो आज प्रयागराज के नाम से जाना जा रहा है । इसी स्टेशन पर कुंभ ले लौट रहे तीर्थयात्रियों में 36 लोगों की जान चली गई थी । इस हादसे के बाद स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल था । चारों चीख-पुकार मचा हुआ था । इस हादसे को जीतने भी देखा उसके होस उड़ गये थे । इस खबर में बताएंगे की कैसे हुआ था हादसा । दस फरवरी 2013 मोनी अमावस्या का दिन था । इसी दिन कुंभ में तीन से चार करोड़ लोग डुबकी लगा चुके थे । प्रयागराज स्टेशन पर लोगों की भीड़ इतनी बढ़ गई की फ्लाईओवर पर पैर रखने तक की जगह नहीं था ।
रेलवे प्रशासन की तरफ से स्नान कर लौट रहे तीर्थयात्रियों के लिए चौक के तरफ से बाड़े बनाये गये थे । जिसका मकसद ये था की जिस तरफ की ट्रेन आयेगी उस साइड के यात्रियों के लिए बाड़े खोले जायेंगे ताकि यात्री आराम से अपनी ट्रेन पकड़ सके । लेकिन 10 फरवरी 2013 को लापरवाही के वजह से पुरा सिस्टम ही फेल हो गया । इसके वजह स्टेशन पर तीर्थयात्रियों की भीड़ बढ़ने लगी वहीं बहुत सी ट्रेनें लेट चल रही थी । जिसके वजह से भीड़ काफी बढ़ने लगी थी । तभी रेलवे की तरफ से अचानक एनाउंस हुआ की ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 6 की बजाय दुसरे प्लेटफार्म पर आ रही है ।
बस क्या था लोगो की भीड़ ट्रेन पकड़ने के लिए दुसरे प्लेटफार्म की तरफ भागने लगे तभी भीड़ को काबू करने के लिए जीआरपी ने लाठीया भाजनी शुरू कर दी । बस क्या थी एक के उपर एक लोग गिरने लगे दबने कुछ लोग तो ओवरब्रिज से नीचे गिर गये देखते ही देखते वहां चीख-पुकार मचने लगा स्टेशन पर लाशों के ढेर लगने शुरू हो गये । जो लोग बुरी तरह से घायल थे उन्हें समय से इलाज ना मिलने की वजह से वहीं तड़प कर दम तोड़ दिया। तो कोई अपने को खोजता रह। वह दृश्य इतना भयावह था की उस घटना को याद कर आज भी रुह कांप जाती है ।
रेलवे की तरफ से बनाएं गये कुंभ वार्ड में ताला लगा हुआ था जब रेलवे के बड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे तब जाकर कुंभ वार्ड का ताला खोला गया । लेकिन रेलवे के इस अस्पताल में रुई पट्टी के अलावा किसी अन्य की व्यापक तौर पर व्यवस्था नहीं था । आक्सीजन सिलेंडर खाली पड़ा था । दवाईयों की कमी थी । भगदड़ में कुछ लोग ऐसे भी थे जिनकी इलाज ना मिलने के कारण मौत हो गई । उस भगदड़ के दौरान भी शासन प्रशासन के तरफ त्वरित कार्रवाई नहीं की गई जिसका नतीजा वहां लोग लाशों को लेकर भटकते रहे अस्पताल के बाहर तो दुकानदारों ने हद ही कर दिया कफन बारह सौ से लेकर पंद्रह सौ तक बेचने लगे । वहीं पुलिस प्रशासन ने भी हद कर दी थी घटना के बारह घंटे बीत जाने के बाद शवों को उनके घर भेज नहीं पाई थी ।
मंत्री ने दिया इस्तीफा
सन् 2013 में समाजवादी पार्टी की सरकार थी उसी समय कुंभ लगा हुआ था । कुंभ का प्रभारी मंत्री बनाया गया था आजम खान को वहीं आजम खान जो इस समय जेल में हैं । आजम खां ने हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए प्रभारी मंत्री से इस्तीफा तो दे दिया । लेकिन अपनी कमियां छुपाने के लिए सारा दोष मीडिया और रेलवे पर फोड़ते हुए कहां की जब एक दिन में तीन करोड़ लोग आयेंगे तो ऐसे हादसे होते रहेंगे। ऐसे हादसों का जिम्मेदार किसी को नहीं ठहराया जा सकता । उन्होंने कहा की मीडिया के खबर से जो पैनिक क्रिएट हुआ है उसे कंट्रोल करना चाहिए । वहीं ये जो हादसा हुआ उसका चार कारण था ।
जिस दिन कुंभ में संतों का शाही स्नान था उस दिन भीड़ को शासन प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया । शाही स्नान के समय लोगों को इलाहाबाद से बाहर प्रतापगढ़ या जौनपुर में रोका जा सकता था । लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया । शाही स्नान के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसके वजह से लोग स्टेशन पर भाग कर पहुंचे जिसके वजह से भीड़ बढ़ गई।इलाहाबाद रेलवे स्टेशन की क्षमता उस दौरान मात्र 25 हजार की थी लेकिन कुंभ में भीड़ रोकने के लिए प्रशासन ने लोगों को जल्दी जल्दी बाहर करने लगा । जिसके वजह से स्टेशन पर दो लाख के करीब लोग पहुंचे गये । लोगों को रोकने के लिए स्टेशन पर बाड़े बनाये गये थे ताकि एक साथ लोग स्टेशन पर भीड़ ना लगायें लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ ।
प्रयागराज राज में जब कुंभ लगता है तो उस दौरान पुलिस को ट्रेनिंग दी जाती है की भीड़ बढ़ने पर कैसे रोका जाये । जिला पुलिस को तो ट्रेनिंग दी गई थी । लेकिन रेलवे पुलिस को इसकी ट्रेनिंग नहीं दी गई थी । एक रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे पुलिस ने भीड़ को समझने व रूट बदले के बजाय लाठीचार्ज कर दिया ।
ऐसे कार्यक्रमों के लिए पुलिस प्रशासन के पास एक से चार बी प्लान होता है । जब को ऐसा घटना हो उससे निपटा जा सके लेकिन कुंभ प्रशासन के पास ऐसा कोई प्लान तैयार नहीं था । आपातकालीन सेवा ठप था रेलवे अस्पताल में पट्टी रुई के अलावा कोई भी व्यवस्था नहीं था । घटना के बाद स्टेशन पर एंबुलेंस समय से नहीं पहुंचा था और ना ही स्ट्रेचर समय से मिल पाया था ।