Home उत्तर प्रदेश Mukhtar Ansari News: उपराष्ट्रपति का भतीजा मुख्तार अंसारी कैसे बना जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह

Mukhtar Ansari News: उपराष्ट्रपति का भतीजा मुख्तार अंसारी कैसे बना जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह

by Jharokha
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Mukhtar Ansari News: How Vice President's nephew Mukhtar Ansari became the uncrowned king of the world of music.

Thejharokha.com गाजीपुर : मुख्तार अंसारी के परिवार की गिनती शुरू से ही रसूखदार परिवारों में होती रही है। मुख्तार के दादा डाक्टर मुख्तार अंसारी स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं तो नाना भारतीय सेना में ब्रिगेडियर और चाचा हामीद अंसारी भारत के उपराष्ट्रपति और भाई गाजीपुर से दो सांसद और मोहम्मदाबाद से विधायक रह चुका है। इतने रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखने वाला मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया में ऐसा कदम रखा कि पीछे मुड़कर नहीं देखा और 40 साल तक बेजात बादशाह बन कर रहा है। खैर अब मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari ) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो चुकी है और वह कल की बात बन कर रह गया है। आइए जानते हैं मुख्तार के डान बनने की कहानी…

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर Ghazipur जिले के यूसुफपुर मोहम्मदा बाद निवासी मुख्तार अंसारी का नाम जरायम की काली दुनिया में पहली बार साल 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड से सामने आया था। और देखते ही देखते कुछ सालों में मुख्तार का नाम पूर्वांचल की तमाम हत्याओं और ठेकेदारी में आने लगा। जो आगे चल कर मुहम्मदाबाद से निकलकर मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम हो गया।

करीब 40 साल पहले बसपा की अंगुली पकड़ कर राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार ऐसा प्रभावशाली नेता बन गया कि जेल में रहते हुए उसने विधानसभा के तीन चुनाव जीते। और पांच बार विधायक के रूप में मऊ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

शुरू से ही सियासत में रसूख रखने वाले जमींदार परिवार में 30 जून 1963 को मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ। वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी का पोता था। गाजीपुर के पीजी कालेज में कभी क्रिकेट का स्टार खिलाड़ी रहा मुख्तार अंसारी मूल रूप से गाजीपुर के ही सैदपुर के रहने वाले मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था।

मुख्र अंसारी का यह गिरोह रेलवे का ठेकिा, कोयला खनन, स्क्रैप, सार्वजनिक कार्यों और शराब के ठेके लेने जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। केबल आपरेटरों और व्यापारियों जबरन वसूली का गिरोह चलाता था। मुख्तार के नाम का सिक्का मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में ज्यादा चलता था। बताया जाता है कि 20 वर्ष से भी कम आयु में मुखतार अंसारी मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर जरायम की दुनिया की सीढ़ियां चढ़ता रहा। जमीन पर कब्जा, अवैध निर्माण, हत्या, लूट, सहित अपराध की दुनिया के कुछ ही ऐसे काम होंगे, जिनसे मुख्तार का नाम न जुड़ा हो।

मुख्र के नाम का खौफ इतना की सीबीआइ ने भी केस लेने से हाथ पीछे खिंच लिया और कृष्णानंद राय हत्याकांड की फाइल बंद कर दी। खैर समय बदला, सत्ता बदली और मुख्तार के जरायम का सूरज अस्त होता गया।

अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंजाब की रोपड़ जेल से वापस उत्तर प्रदेश आने के बाद मुख्तार पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। और उसे करीब डेढ़ साल के भीतर आठ बार अलग-अलग अदालतों ने सजा सुनाई, जिससे दो बार आजीवन कारावास की सजा भी शामिल थी। इससे उसका जिंदा जेल से बाहर आना नामुमकिन हो गया था।

Jharokha

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