भारतीय सांस्कृतिक धरोहर में भगवान कृष्ण का जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर साल भारत और विश्व भर में धूमधाम से मनाया जाता है। आइए सझते है हमारे जीवन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व को भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण, हिन्दू धर्म के एक प्रमुख अवतार हैं, जिन्होंने भगवद गीता के माध्यम से मानवता के लिए महत्वपूर्ण उपदेश दिया। उनका जन्म हिन्दू पंचांग के भाद्रपद मास के आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की आष्टमी तिथि को हुआ था।
जन्माष्टमी के पर्व पर भगवान कृष्ण के मूर्ति स्थापना की जाती है और उनके लीलाओं के कथानकों का पाठ किया जाता है। भक्तगण रात्रि भजन के साथ जगराता करते हैं और ध्यान में रहते हैं। खास भोजन और प्रसाद का आयोजन किया जाता है और भगवान कृष्ण के नाम पर लाखों लोग व्रत रखते हैं।
शुभ मुहूर्त की बात करें, जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इस समय पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, अगर आष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में होती है, तो यह अत्यधिक शुभ होता है। इस समय पूजा और आराधना करने से विशेष मान्यता होती है।
जन्माष्टमी का पर्व भक्ति, आध्यात्मिकता, और समर्पण का प्रतीक है। यह हमें भगवान कृष्ण के महत्वपूर्ण उपदेशों को याद दिलाता है और हमें जीवन में उनके गुणों का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
इस जन्माष्टमी पर्व को आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ मनाकर आपके जीवन में खुशियों और शांति की बरकरार रहने की कामना करते हैं। इस पर्व के मौके पर, हमें भगवान कृष्ण के संदेशों का पालन करके अपने जीवन को सफल और सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।