
शिमला: यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जल्दी भारत दुनिया का तीसरा हिना उत्पादक देश बन जाएगा। क्योंकि इस दिशा में भारत में कदम उठा लिया है। हींग का पहला पौधा हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति के क्वारिंग गांव में 17 अक्टूबर को रूप दिया गया। बता दें कि दुनिया भर के देशों में अकेला भारत ही ऐसा है देश जहां 50% हींग की खपत होती है। हींग की यह पहली खेती समुद्र तल से 11000 फीट की ऊंचाई पर की जा रही है। हींंग की फसल 5 साल में तैयार होती है ।
बताया जा रहा है कि हींग को हिमाचल प्रदेश के पालनपुर के हिमालय जय संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान की लाइफ में तैयार किया गया है सबसे पहले पौधे को रोकने के लिए समुद्र तल से 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित गांव कवरिंग को चुना गया। बताया जा रहा है कि सबसे पहले ट्रायल के तौर पर इसकी पैदावार के लिए लाहौल स्पीति को चुना गया है। यह पहल कामयाब हुई तो इससे देश की आर्थिकी में परिवर्तन आएगा।
केवल सात किसानों को वितरित किए गए पौधे
तकनीकी संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक घाटी में केवल सात किसानों को हींग के पौधे वितरित किए गए हैं। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डाॅक्टर संजय कुमार ने हींग के पौधे को रोपित किया। ज्ञात हो कि देश में अभी हींग की खेती नहीं होती। प्रति किलो हींग की कीमत 35 हजार रुपये है। देश में ही की मांग को पूरी करने के लिए की आयात ईरान, अफगानिस्तान, उज़्बेकिस्तान सहित अन्य दूसरे देशों से किया जाता है।
1200 टन होती है हींग की खपत
हींग की भारत में 50 प्रतिशत खपत होती है। देश में एक साल में हींग की खपत 1200 टन है। भारत में अभी तक अफगानिस्तान, ईरान और उज्वेकिस्तान से हींग का आयात किया जाता है। पालमपुर स्थित रिसर्च सेंटर में हींग के पौधों की छह वैरायटी तैयार की गई हैं।कई सालों की रिसर्च के बाद लाहौल को हींग की पैदावार के लिए माकूल माना गया है। इसके अलावा अन्य कई पहाड़ी क्षेत्रों को भी हींग की पैदावार के लिए उपयुक्त माना गया है।