shardiya Navratri 2021 : हिंदू धर्म को मानने वालों के लिए दुर्गा पूजा या नवरात्रि एक प्रमुख पर्व है। वर्ष में दो बार क्वार और चैत्य में पड़ने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा को शक्ति की अधिशठात्री के रूप में पूजा जाता है। वैसे तो नवरात्र वर्ष में चार बार पड़ते हैं। इनमें दो नवारात्र गुप्त माने जाते हैं, जबिक दो नवरात्रों में शक्ति की उपाशना की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व माता दुर्गा और पार्वती के योद्धा रूप व आशुरी शक्तियों का संहार करने वाली देवी को समर्पित है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजरा देशभर की जाती है, लेकिन शारदीय नौरात्रि में बड़े-बड़े पूजा पंडाल स्थापित की दुर्गा देवी की मिट्टी की प्रतिमा प्रतिष्ठापित कर की जाती है।
इस मामले में बंगाल की दुर्गा पूजा दुनियाभर में वैसे ही मशहूर है जैसे कि महाराष्ट्र में गणपित पूजा। बंगाल की दुर्गा पूजा को देखने के लिए दुनियाभर से लोग कोलकाता पहुंचते हैं। पूजा पंडालों में स्थापित माता दुर्गा की प्रतिमा भक्तों को सहज ही अपनी तरफ आकर्षित करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं जिस मिट्टी से देवी-दुर्गा की प्रतिमा को बनाया जाता हैं उसमें वेश्या के आंगन की मिट्टी भी मिलाई जाती है।
इस बात को जानकर आपको हैरानी होगी, लेकिन यह सच है। यह मिट्टी भी उतनीही पवित्र मानी जाती है, जितनी पवित्र मां दुर्गा मानी जाती हैं। माता दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाले शिल्पकारों की माने तों नवरात्रि में माता दुर्गा की प्रतिमा बनने वाली मिट्टी में तीन स्थानों की मिट्टी को मिलाया जाता है। पहला माता गंगा की मिट्टी, दूसरा गोबर, तीसरा गोमूत्र और चौथा वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। उनका कहना है कि जब तक इन तीनों स्थानों की मिट्टी प्रयोग न किया जाए मिट्टी पवित्र नहीं मानी जाती है।
क्या है मान्यता
माना जाता है कि अति प्रचालीन काल में एक वेश्या थी जो माता की अनन्य भक्त थी। अपने इसी भक्त को अपमान से बचाने के लिए देवी ने स्वयं प्रकट हो कर आदेश दे कर उसके आंगन की मिट्टी से अपनी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरू करवाई थी। साथ ही उसे वरदान दिया कि बिना वेश्यालय की मिट्टी के उपयोग के दुर्गा प्रतिमाओं को अपूर्ण माना जाएगा।
एक मान्यता यह भी
मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति वेश्यालय में जाता है तो वह अपनी पवित्रता द्वार पर ही छोड़ जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि वेश्या के आंगन की मिट्टी सबसे पवित्र हुई, इसलिए उसका प्रयोग दुर्गा प्रतिमा के निर्माण के लिए किया जाता है।
एक कारण यह भी बताया जाता है कि जब माता दुर्गा महिषासुर के विरुद्ध लड़ रही थीं, तो उन्होंने देवी दुर्गा को छूने की कोशिश की. ऐसे में देवी दुर्गा ने अपनी पूरी शक्ति का उपयोग करके महिषासुर का वध किया था।
यह भी माना जाता है कि हिंदू धर्म में स्त्री को देवी का दर्जा दिया गया है। ऐसे में समाज की सबसे उपेक्षित और हाशिए पर रहने वाली महिलाओं के सम्मान स्वरूप वेश्यालय की मिट्टी का प्रयोग माता दुर्गा के प्रतिमा के निर्माण में किया जाता है, ताकि किसी भी महिला का अपमान न हो।