
काश कि अपने प्रधानमंत्री जी का दौरा पूरे लखनऊ में हो जाये
परवेज़ अख़्तर : पहले जब कोई हादसा होता था उसकी ख़बर चलती थी उस खबर का असर होता था। जैसे कि कोई स्कूली वैन से कोई हादसा होता था तो हर स्कूल की वैन की फ़िटनेस से लेकर ड्राइवर तक की फ़िटनेस चेक कर ली जाती थी! कहीं कोई बिल्डिंग गिरती थी तो शहर की हर जर्ज़र इमारतों पर अभियान चलता था! इसी प्रकार कोई घटना होती थी तो उससे रिलेटेड चीजों को लेकर संबंधित अधिकारी अपने आप संज्ञान में लेकर एक्शन में आ जाते थे।
पर अब ऐसा कतई नहीं होता अब किसी घटना को सिर्फ ख़बर की तरह पढ़ कर रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। अभी हाल ही में सरोजनी नगर क्षेत्र में गड्ढे युक्त सड़क से एक नवविवाहिता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।उस हादसे से एक जान गई दो घरों की खुशियां उजड़ गयीं इसी तरह रोज इन जानलेवा गड्ढों से हादसे हो रहे हैं लोग चोटिल हो रहे हैं और कहीं कहीं दम भी तोड़े दे रहे हैं। पर मजाल है कि कोई अधिकारी या नेता या फिर अभिनेता इस पर आवाज़ उठा ले!
वैसे तो पूरा शहर गड्ढों की बिसात से बिछा हुआ है सड़कें खुदी हुयी हैं कहीं सीवर के काम से तो कहीं केबिल के काम से। वहां तो मज़बूरी है रोड न बनने की पर कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ कोई काम नहीं हो रहा है पर खतरनाक गड्ढे सबको मूँह चिढ़ा रहे हैं। हम ये चार फ़ोटो मवैया रेलवे पुल के नीचे थाना आलमबाग के पास की पब्लिश कर रहे हैं जहाँ की रोड पुल के बाहर मुद्दतों से, और पुल के नीचे कयी वर्षों से बड़े बड़े गड्ढों से सजी हुयी है।
इन गड्ढों से रोज एक्सीडेंट होते हैं रोज ट्रैफिक जाम रहता है इस रास्ते से दिन भर में कई हज़ार गाड़ियों का आवागमन रहता है! कई वीआईपी कई अधिकारी भी इधर से गुजरते हैं। पर मज़ाल है कोई इसकी पैचिंग के लिये ही आदेश कर दे या बनवाने के लिये फिक्र कर ले।
अंग्रेजों के बिछाये पत्थर जगह जगह क्रेक होकर गहरे गड्ढों में तब्दील हो चुके हैं वो गड्ढे भी किसी जिम्मेदार को नज़र नहीं आ रहे हैं। और तब तक नहीं आयेंगे जब तक अल्लाह न करे कोई बड़ा हादसा न हो जाये।