किसान भाई पारंपरिक खेती के साथ-साथ अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए सब्जियों की खेती अच्छी रहेगी। इस लिए उन्हें परंपरागत खेती के साथ-साथ व्यावसायिक खेती भी अपनानी होगी। यह बात खालसा कॉलेज के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट प्रो: गुरचरण सिंह कहते हैं। गुरुचरण सिंह के अनुसार धान-गेहूं की अपेक्षा सब्जियों की खेती से किसान कई गुना मुनाफा कमाते हैं।
सब्जियों की खेती करने वाले हररूप सिंह कहते हैं कि वे शिमला मिर्च, टमाटर और खीरे की खेती से सालाना कई लाख कमाते हैं। हररूप की माने तो वो एक एकड़ में अगर शिमला मिर्च की खेती करते हैं तो 35 से 40 हजार रुपए की लागत आती है। थोक में यह 35-40 रुपए प्रतिकिलो के दर से बिके तो 4 से 5 लाख रुपये बड़े आराम से मिल जाता है। वे कहते है कि “सारा खर्च निकाल दिया जाए तो भी 3 से 4 लाख रुपए बच ही जाएंगे।’ क्योंकि वो बिना पॉलीहाउस के शिमला मिर्च की खेती करते हैं।
वे कहते हैं कि लागत कम करने के लिए ड्रिप और मल्चिंग कराई है। हररूप कहते हैं कि उन्होंने फसली चक्र को तोड़ते हुए सब्जियों की खेती शुरू की। सब्जियों की खेती में सबसे ज्यादा लागत सिंचाई और निराई-गुड़ाई में आती है। सिंचाई का पैसा बचाने के लिए हमने ड्रिप (बूंद-बूंद सिंचाई) लगवाई तो निराई में मजदूरी का पैसा बचाने के लिए मल्चिंग शुरु की। एक बार पैसा जरुर लगता है लेकिन फिर कोई झंझट नहीं रहता।’ हररूप कहते हैं कि वह अपनी सब्जियों को अमृतसर और जालंधर की मंडियों में ले जाते हैं। इसके साथी शहर के विभिन्न होटलों में शिमला मिर्च की सप्लाई करते हैं।