
फोटो :गुगल से साभार
अजवाईन और उसके औषधीय गुणों से तो प्राय: रह कोई वाकिफ है। लेकिन मसाला और औषधीय वर्गीय अजवाइन की खेती किसानों को मालामाल बना सकती है। इसमें लागत कम, मुनाफा ज्यादा है। इस लिए अजवाइन की खेती किसानों की पहली पसंद बनी हुई है। तो किसान भाइयों चिंता किस बात की। आइए जानते है अजवाइन की खेती के बारे में।
बुआई का समय
किसान भाइयों अगर आपके पास सिंचाई युक्त जमीन है तो अजवाइन की बुआई अक्टूबर नवंबर में कर सकते हैं। यदि सिंचाई की सुविधा नहीं असिंचित भूमि हैं तो आप अगस्त- सितम्बर में अजवाइन की बुआई कर सकते हैं।
कैसी होनी चाहिए मिट्टी
जमीन का ph मान छह से सात वाली बलुई या बलुई दोमट मिट्टी होनी चाहिए। जिसमें आप अजवाइन की बुआई कर सकते हैं। हां इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि भूमि उपजाऊ और पोषक तत्वों से भरपूर हो। और इसमें पानी निकासी की उत्तम व्यवस्था हो।
उत्तम बीज
अब हमें ध्यान रखना है कि अजवाइन का बीज उन्नत किस्म का होना चाहिए। क्योंकि बीज बढ़िया रहेगा तभी उपज भी अच्छी होगी। वैसे अजवाइन के बीज के रूप में किसान भाई ज्यादातर देशी किस्म के बीज ही चुनते हैं। फिर भी यह जान लेना आवश्यक है कि अजवाइन के कौन कौन से किस्म के बीज आते हैं।
AA 1,
AA 2,
गुजरात अजवायन,
AA 19-80
लाभ सलेक्शन 1 व 2
खेत की तैयारी
खेत की अच्छी तरह से जुताई करने के बाद दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई करने के बाद पाटा लगाना चाहिए। इस तरह से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और खेत में नमी बनी रहती है।
खाद
अन्य फसलो की तरह ही हमे अजवायन की अच्छी पैदावार के लिए भी बोआई से पहले खाद व उर्वरक का प्रयोग करना है, जिसमे की 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद डालनी चाहिए। 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस की प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। सके अलावा ध्यान रखना है की नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस की पूरी मात्रा बोआई से पहले खेते में डालनी चाहिए। और बची हुयी नाइट्रोजन की मात्रा को बोआई से करीब 30 व 60 दिनों के अंतर पर दो बार में डालनी चाहिए।
बुआई की विधि
अजवायन की खेती कतार में करनी चाहिए जिससे की हमें फसल की निरराई-गुड़ाई करने में आसानी हो। पोधों की दुरी 25-30 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30-40 सेमी के करीब रखना ठीक रहता है। अजवायन की खेती का बीज दर करीब चार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होता है।