बाराचवर (गाजीपुर) से रजनीश मिश्र की ग्राउंड रिपोर्ट
अगले साल 2021 में उत्तर पदेश में पंचायत चुनाव होने हैं। लेकिन सरकार की तरफ से ग्राम पंचायत चुनाव करवाने की अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, फिर भी कयास लगाया जा रहा है
कि उत्तर प्रदेश सरकार सूबे के करीब 59, 163 ग्राम पंचायतों के अगले वर्ष फरवरी या मार्च में चुनाव करवाए जाने की घोषणा कर सकती है। हलांकि गांवों में प्रधान पद के उम्मीदवार अपना-अपना दावा पेश करते हुए अभी से चुनावी जमीन तैयार करने में लग गए हैं। कोई गांव में विकास कार्य करवाने के दावे कर रहा है तो कोई मौजूदा प्रधान की कमियां गांव वालों को गिनाने में लगा हुआ है।
ब्लाक स्तर का गांव और स्टेडियम तक नहीं
ग्राम सभा बारचवर के करीब 3500 मतदाओं को जवाब चाहिए। उन प्रधानों से जो 1955 से अब तक गांव का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ग्रामसभा के इन 65 सलों के इतिहास में ब्लाक स्तर के इस गांव में खेल स्टेडियम तक नहीं है। शिक्षा के मामले में यहां साक्षरता दर करीब 69 फीसद है। लेकिन विडंबना यह है कि यहां युवाओं के लिए ना तो कोई खेल स्टेडियम है और ना ही कोई व्यायामशाला।

65 साल में 13 प्रधान, यूथ पर नहीं ध्यान (बाराचवर)
ग्राम पंचायत चुनाव के इतिहास में ब्लाक स्तर के गांव बाराचवर में इन 65 सालों में दो महिला प्रधानों सहित 13 प्रधान हुए। ब्लाक से लेकर अस्पताल तक, डाक से लेकर स्कूल तक, बिजली से लेकर पानी तक यानि सभी मूलभूत सुविधाएं बाराचवर में मौजूद हैं। लेकिन, इन सब बुनियादी सुविधाओं के बावजूद युवाओं की तरफ किसी भी ग्राम प्रधान ने ध्यान नहीं दिया।
सेना में जाना तो चाहते हैं, पर दौड़ कहां लगाएं
नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर गांव के ही कुछ युवा कहते हैं, यहां मौजूदा प्रधान और भावि प्रधान बारचवर का विकास करने और करवाने की बात तो करते हैं, लेकिन सच में यूथ के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। इन युवाओं का कहना है कि वे सेना में जाना तो चाहते हैं, लेकिन फिजिकल के लिए कोई जगह नहीं है।
गांव में ना तो कोई खेल स्टेडियम बना और ना ही इसके लिए कोई जगह निर्धारित है, जहां जाकर दौड़ आदि लगाया जा सके। मजबूरन उन्हें नहर की पटरी या सड़क पर दौड़ना पड़ता। गांव का प्रधान कोई भी हो उन्हें यूथ के विकास पर ध्यान देना चाहिए।
इन युवाओं का कहना है कि, ऐसा नहीं है कि हमारे गांव में कोई सैनिक या सिपाही नहीं है। सैन्य अधिकारी से लेकर सिपाही तक हैं। गांव में शिक्षक भी हैं। सिविल में भी कई लोग अच्छे ओहदे पर हैं। गांव विकसित तो नहीं पर विकासशील जरूर है। फिर भी बाराचवर में यूथ के लिए कुछ नहीं है।

सवाल जो प्रधानों से जवाब मांगता है
ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार व्यवस्थित ढंग 1955 में हुए ग्राम पंचायत चुनाव से लेकर अबतक चुन कर जो ग्राम प्रतिनिधि आए उन्होंने यूथ के विकास की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया। ऐसा नहीं है कि सरकार की तरफ से इसके लिए फंड नहीं दिया जाता।
विकास के लिए प्रति वर्ष मिलते हैं 20 से 30 लाख
ग्राम पंचायत के पांचवें चरण के विकास (1983-84 से 1992-93) से लेकर अब तक तो ग्राम पंचायतों को कई तरह के अधिकार दे दिए गए हैं । यही नहीं भारत सरकार की तरफ से ग्राम पंचायतों को गांवों के विकास के लिए प्रतिवर्ष 20 से 30 लाख रुपये फंड के तौर पर मिलते हैं। इसके अतिरिक्त ग्राम सभा के अपने आय से साधन होते हैं। जैसे पंचायत की जमीन को खेती के लिए ठेके पर देना, दुकान को किराये पर देना आदि शामिल है। इसे होने वाली वार्षिक आय से भी गांव का विकास करवाया जाता है।
यही नहीं, 14वें वित्त, मनरेगा और स्वच्छ भारत मीशन के वार्षिक औसत निकाला जाए तो एक ग्राम पंचायत को 20 से 30 लाख रुपये सालाना विकास कार्यों के लिए मिलते हैं। ये आंकड़े गांववासियों को बताने इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि इन्हीं पैसों से आपके लिए पानी, घर के सामने की नाली, आपकी सड़क, शौचालय, स्कूल का प्रबंधन, साफ-सफाई और तालाब और कम्युनिटी हाल बनते हैं। ऐसे में बारचवर यह सवाल तो पूछेगा ही पंचायत चुनाव के 65 साल के इतिहास में कुल 13 प्रधान निर्वाचित हो कर आए लेकिन खेल स्टेडियम क्यों नहीं बना।
आप भी पूछ सकते हैं सवाल
अगर आप बाराचवर या किसी भी ग्रामसभा के रहने वाले हैं तो आप अपने पूर्व प्रधान, मौजूदा प्रधान या भावी प्रधानों से यह सवाल पूछ सकते हैं। क्यों कि सरकार हर साल लाखों करोड़ों रुपए एक ग्राम पंचायत को देती है। ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव समेत कई अधिकारी मिलकर उस फंड को विकास कार्यों में खर्च करते हैं। अगर आप को जानकारी होगी तो आप न सिर्फ प्रधान से बैठक में पूछ पाएंगे, बल्कि आरटीआई के माध्यम सें खंड विकास अधिकारी, पंचायत अधिकारी और सरकार से भी सवाल कर सकते हैं।