
करीब 11 साल बाद 2021 में हरिद्वार में कुभं मेले का आयोजन हो रहा है। इस मेले में देश विदेश से लाखों की संख्या में हिंदू धर्मावालंबियों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं।
12 साल बाद लगने वाले इस कुंभ भारतीय धर्मदर्शन के अलग-अलग रूपों से तो लोगों का साक्षात्कार होता ही है, लेकिन इस मेले में लोगों को आकर्षित और अचंभित करता है वह है नागा साधुओं की उपस्थित और इनका रहस्यमय जीवन। आजीवन नग्न और दिगंबर रहने वाले इन साधुओं के दर्शन कुंभ या अर्धकुंभ में ही होते हैं। “kumbha mela”भगवान विष्णु और शिव को अपना आराध्य मानने वाले नाग साधुओं के बारे में हर कोई जानना चाहता है। चाहे वह भारतीय हो या विदेशी। आज हम बता रहे हैं इन्हीं नागा साधुओं के रहस्यमयी दुनिया के बारे में । Religion
नागा साधु बनने के लिए किसी भी साधु को सबसे पहले अपने ही हाथों अपना श्राद्ध और पिंडदान करना पड़ता। अवधुत बनने की परीक्षा देनी होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जिंदा रहते हुए भी खुद के मरने के सारे क्रियाकर्म करने पड़ते हैं। यह उसके लिए पहली परीक्षा होती है। पिंडदान के बाद को सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है।
इससे पहले उसे किसी नागा अखाड़े मे जाना होता है। वहां उसे कई तरह की कठिन परीक्षा से गुजरना होता है। इस दरम्यान नागा अखड़ा अपने अस्तर पर उस व्यक्ति और उसके परिवार के बारे में पता करते हैं। जब उन्हें लगने लगता है कि वह साधु बनने के लिए सही है तो ही उसे अखाड़े में प्रवेश की मंजूरी मिलती है।
अखाड़े में प्रवेश के बाद उसके ब्रह्मचर्य की परीक्षाली जाती है। इसमें छह से 12 साल तक लग जाते हैं। अगर गुरु और अखाड़ा यह निश्चित कर लेते हैं कि वह दीक्षा देने लायक हो गया है तो उसे नागा साधु बनने की अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है।

भिक्षा मांग कर करना होता है भोजन “kumbha mela”
नागा साधुओं को सिफ एक समय ही भोजन करना होता है। वह भी उन्हें भिक्षा मांग करना होता है। लेकिन इसमें बहुत कठिन व्रत और नियम होते हैं। भिक्षा भी उन्हें केवल सात घरों से ही मांगना पड़ता। यदि इन सात घरों को भिक्षा मिल गई तो ठीक है, नहीं तो उन्हें उसदिन भूखे ही सोना पड़ता है।
कभी बिस्तर या खटिया पर नहीं सोता नागा साधु
नागा साधु न तो कभी खटिया पर सोते हैं और ना ही कभी पलंग पर और ना ही खुद के लिए कोई बिस्तर लगाते हैं। यहां तक कि वह गद्दे और गद्दी पर भी नहीं सोते। वह केवल जमीन पर ही सोते हैं। सर्दी, गर्मी या फिर बरसात। हर मौसम में नागा साधु नग्न और भष्म रमाये रहते है। नागा साधुओं को कठिन व्रत और नियम का पालन करना पड़ता है।

“kumbha mela”कितना कठिन होता है 24 घंटे खड़ा रहना
ब्रह्मचर्य की परीक्षा में खरा उतरने के बाद बाद नागा साधु को महापुरुष बनाया जाता है। इसके बाद उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं। ये पंच गुरु होते हैं ‘शिव, विष्णु, ब्रह्मा, सूर्य और गणेश। खुद के तर्पण के बाद से धर्म ध्वज अथार्त अखाड़े झंडे के नीचे नग्न अवस्था में 24 घंटे खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद उसे नपुंसक बनाया जाता है। इसके लिए अखाड़े का ही एक वरिष्ठ नागा साधु लिंग की एक नस को खिंच कर उसे नपुंसक कर देता है। इसके बाद वह नागा दिगंबर साधु बन जाता है। more news
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