Mahakumbh In Pakistan: भारत में इस वक्त महाकुंभ चल रहा है, जिसका भव्य और दिव्य आयोजन विश्व पटल पर छाया हुआ है। इसमें दुनियाभर के सनातनी और गैर सनाती आकर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस वक्त पाकिस्तान में भी एक कुंभ का आयोजन हो रहा है, जो इस समय चर्चा और आस्था का विषय बना हुआ है।
इस कुंभ का आयोजन हमारे इस्लामिक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं ने किया है। दरअसल भारत में कई देशों से श्रद्धालु आ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान में भारत का वीजा नहीं मिलता है। ऐसे पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं ने यह अमृत मौका गवांना वाजिब नहीं समझा, इसलिए अब एक अलग महाकुंभ का आयोजन किया है।
गंगाजल से कर रहे स्नान
इस समय सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है। यह वीडियो पाकिस्तान के एक यू टूबर ने बनाया है। यह वीडियो पाकिस्तान के जिला रहीमयार खान की बताई जा रही है। रहीमयार खान में रह रहे हिंदुओं ने एक अनोखा महाकुंभ मेले का आयोजन किया है। बतया जा रहा है कि मेला भी प्रयागराज में लगे महाकुंभ की अवधि तक चलेगा। वायरल हो रही वीडियो में महाकुंभ में शामिल हुए पाकिस्तानी हिंदू श्रद्धालुओं ने कहा कि वे भारत के प्रयागराज नहीं जा सकते, इसलिए उन्होंने अपने ही देश में इस धार्मिक आयोजन को करने का निर्णय लिया।
जीवन का पहला और आखिरी महाकुंभ है
इस वीडियो में साफ सुनाई दे रहा है कि आयोजनकर्ता एक पुजारी कह रहा है कि “यह महा कुंभ 144साल बाद आया है,यह शायद हमारे जीवन का पहला और आखिरी महाकुंभ होगा”। इसलिए पानी में गंगाजल मिला कर स्नान कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि महाकुंभ मेला विशेष रूप से गंगा स्नान के महत्व के लिए जाना जाता है। अब चूंकि पाकिस्तान ने रहने वाले हिंदू समुदाय लोग ना तो प्रयागराज आ सकते हैं और ना ही गांगा नदी तक नहीं पहुंच सकते, इसलिए गंगाजल को विशेष रूप से लाकर स्थानीय पानी में मिलाया गया और श्रद्धालुओं को उसमें स्नान करने का अवसर दिया गया।
पाकिस्तान में इस महाकुंभ का आयोजन यह बताने के लिए काफी है हिंदू भले ही इस्लामिक कट्टपंथी देश में रह रहे हैं, लेकिन उनकी अपने सनातन के प्रति आस्था कम नहीं हुई है। वीडियो मे दिख रहा है कि महाकुंभ स्नान के बाद भक्तों के लिए प्रसाद की भी व्यवस्था की गई है। प्रसाद के रूप में दलिया बनाई गई, जिसे श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया गया। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भक्तों ने अपने गुरु के चरणों में आशीर्वाद लिया और इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा पुण्य बताया