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सुमेरगंज की मस्जिद प्रशासन के ज़रिए शहीद किए जाने पर दिली सदमा हुआ

हुकूमत ए हिंद से दोबारा मस्जिद तामीर किए जाने का पुरजो़र मुतालबा

भेलसर(अयोध्या)सुमेरगंज की मस्जिद प्रशासन के ज़रिए शहीद किए जाने पर क़ाज़ी ए शरअ रुदौली मौलाना अब्दुल मुस्तफा सिद्दीकी हाशमती ने कहा कि सुमेरगंज की मस्जिद को प्रशासन द्वारा शहीद किये जाने पर दिली सदमा हुआ।उन्होंने कहा कि हम इसकी सख़्त मज़म्मत करते हैं और प्रशासन से वहीं पर दोबारा मस्जिद तामीर किए जाने का पुरजो़र मुतालबा करते हैं।

क़ाज़ी ए शरअ रुदौली मौलाना अब्दुल मुस्तफा सिद्दीकी हाशमती ने कहा कि पूरी दुनिया को हिदायत और अमन व शांति का पैगा़म देने वाली अल्लाह की आखि़री किताब कुरान ए मुकद्दस है जिसमें साफ और ख़ुले लफ्जों में यह लिखा हुआ है कि मस्जिदें अल्लाह के लिए होती हैं यही वजह है कि जिस जगह पर एक मर्तबा मस्जिद बना दी जाती है |

वह जगह हमेशा हमेश के लिए अल्लाह तआला के कब्ज़ ए कुदरत में चली जाती है।उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी इंसान को यह हक़ हासिल नहीं होता कि उसमें नाजायज़ तसर्रुफ करे,उसे ख़राब व वीरान बनाए या उसे गिराए और शहीद करे।मुसलमानों को इसमें अल्लाह तआला की इबादत व बंदगी करने से रोके,निहायत जा़लिम व जाबिर वह इंसान है जो इस तरह की नापाक जसारत करे।कुरान ए मुकद्दस में अल्लाह ताला ने उसके लिए सख्त सजा़ का ऐलान किया है |

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दुनिया और आखिरत दोनों जहान में उसके लिए जि़ल्लत रुसवाई और तबाह व बर्बादी की ख़बर दी है।उन्होंने कहा कि अल्लाह तआला फरमाता है मस्जिद वह मुक़द्दस जगह है जहां अल्लाह तआला की इबादत की जाती है,उसकी याद की जाती है,जमीन के जो सबसे मुबारक हिस्से हैं सबसे अच्छे हिस्से हैं, सबसे कीमती हिस्से हैं वह मस्जिदों के नाम से जाने जाते हैं।हदीस शरीफ में है हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहू अन्हू बयान करते हैं कि रसूले करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि शहरों में अल्लाह के नज़दीक सबसे पसंदीदा जगह वहां की मस्जिदें हैं और शहरों में सबसे ना पसंदीदा जगह वहां के बाजार हैं।

इसी तरह एक और हदीस ए पाक में है जमीन की बेहतरीन जगह में मस्जिद और बुरी जगह में बाजार है।उन्होंने कहा कि यह सुनकर सख़्त सदमा हुआ कि जि़ला बाराबंकी तहसील रामसनेहीघाट सुमेरगंज में मौजूद सैकड़ों साला कदीम मस्जिद को सोमवार 17 मई को प्रशासन के ज़रिया शहीद कर दिया गया।कहा कि इलाका भर के तमाम मुसलमानों के दिल खून के आंसू रो रहे हैं।उनके पास मस्जिद के हर तरह के कागजा़त भी मौजूद हैं और सालों से उस मस्जिद में नमाज हो रही थी

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2 महीना पहले पुलिस ने यह कहते हुए मस्जिद में नमाज पर पाबंदी लगा दी कि यहां कोई मस्जिद नहीं है।मस्जिद को जबरन घर साबित किया गया।इलाका के मुसलमान अपने तमाम कागजात के साथ कोर्ट गए  और सबका साथ सबका विकास सब का विश्वास के नारे पर भरोसा करते हुए पुर उम्मीद थे कि कोर्ट जल्द मस्जिद के हक़ में फैसला सुनाएगा मगर सोमवार को उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया गया और मुसलमानों के जज़्बात के साथ खेलते हुए मस्जिद को जबरन शहीद कर दिया गया जोकि मुल्क ए हिंदुस्तान के संविधान की ख़ुली खि़लाफ वर्जी है बल्कि संविधान के साथ खिलवाड़ है और मुल्क के अमन व शांति को भंग करने वाला इकदाम है। जिसकी हम पुरजो़र मज़म्मत करते हैं और सुबाई व मरकजी दोनों हुकूमतों से मुतालबा करते हैं कि वह मुसलमानों के इतिमाद को लेकर जल्द उसी जगह पर नई मस्जिद तामीर कराएं ताकि मुल्क की अमन व शांति बरकरार रहे।








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