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UP Election 2022 : ओम प्रकाश जी! लोग पूछ रहे हैं, कब खुलेगी बहादुरगंज की कताई मिल

The jharokha.com Desk : Jahurabad, Ghazipur 2022 ! UP Election अपने पूरे शबाब पर है। गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधासभा क्षेत्र से पूर्वमंत्री ओमप्रकाश राजभर के भाजपा से बगावत के बाद अब जहूराबद Jahurabad विधानसभा सीट को लेकर भाजपा, सपा, बसपा और सुभासपा में अजीब सी स्थिति बनी हुई है। ओम प्रकाश राजभर ने Jahurabad जहूराबाद विधासभा सीट से  चुनाव  लड़ने का संकेत दे दिया है। ऐसे में उनसे पांच साल के विकास का हिसाब लिया जाना जनता के लिए जरूरी है।

Jahurabad जहूराबाद के लोगों में चर्चा है कि अपने पांच साल के कार्यकाल में ओम प्रकाश राजभर ने Jahurabad जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र में एक धेले का काम नहीं करवाया है। शायद क्षेत्र के वोटरों की नाराजगी को देखते हुए उन्होंने शिवपुर से चुनाव लड़ने की सोची होगी। लेकिन यहा बड़ा मुद्दा यह है कि समय समय पर उत्तर प्रदेश की सरकारों को चार चार मंत्री देने वाले विधानसभ क्षेत्र जहूराबाद इतना पिछड़ा हुआ क्यों हैं।

लोग तो यह भी पूछने लगे हैं कि क्षेत्र बहादुगंज में स्थापित सहकारी कताई मिल कब चालू होगी। लोग कह रहे हैं कि बेरोजगारों की बात करने वाले पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर को यहां के बेरोजगारों की समस्या दिखाई नहीं दे रही है। शायद इसी लिए उन्होंने बहादुरगंज स्थित सहकारी कताई मिल को चालू करवाने की कभी बात नहीं की। ओम प्रकाश जी! लोग पूछ रहे हैं, कब खुलेगी बहादुरगंज की काताई मिल।

वर्ष 1985 में बनीं थी सहकारी कताई मिल

जहूराबाद Jahurabad विधानसभा क्षेत्र में यदि बात करें कल कारखानों कि तो बहादुरगंज में बनी एक मात्र सहकारी कताई मिल है जो पिछले 12-15 सालों से बंद है। यह मिल उत्तर प्रदेश सरकार के स्पेशल कंपोनेंट योजना के तहत जुलाई 1985 में शुरू हुई थी। तत्कालीन सहकारी राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह के प्रयास से 8 अगस्त 1981 में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस सहकारी काताई मिल का शिलान्यास किया था। इसके बाद 2 दिसंबर 1986 को इस मिल का शुभारंभ उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने किया था।

40 करोड़ से बनी थी मिल, 11 सौ मजदूर करते थे काम

वर्ष 1986 में जब इस मिल का उद्घाटन किया गया तो क्षेत्रीय जनता को यह पता नहीं था कि आगे चलकर यह मिल एक दिन बंद भी हो जाएगी, क्योंकि जिले के एकमात्र हथकरघा क्षेत्र बहादुरगंज में यह मिल आशा की किरण बनकर उभरी थी। चालीस करोड़ की लागत से 25 हजार स्पेंडल वाली इस मिल में कुल 11 सौ मजदूरों के साथ 84 एकड़ क्षेत्रफल में फैली यह मिल कुप्रबंधन के कारण घाटे में चली गई । हालत यह हुई कि उत्तर प्रदेश सकरार को अगस्त 2010 में इस मिल को बंद करना पड़ा।

गुजरात और बंगलौर में  थी बहादुरगंज के बने धागों की मांग

लोगों का कहना है कि पूर्वांचल सहकारी कताई मिल के प्रोडक्शन में तैयार धागे कानपुर, टांडा, गुजरात, बंगलूरू सहित देश के अन्य भागों में अच्छी गुणवत्ता के चलते काफी मांग रहती थी। यही नहीं स्थापना के समय ही इस मिल के दूसरे चेंबर के लिए भूमि अधिग्रहीत की गई और कुछ भाग बनकर तैयार भी हो गया था जिसमें 25 हजार और स्पेंडल स्थापित किए जाने थे। यदि दूसरा चेंबर चालू हो गया होता तो इस मिल में 25 सौ मजदूरों की तादात हो गई होती, लेकिन सब पर भारी पड़ा लूटखसोट और बंदरबाट के चलते पिछड़े इलाके में स्थापित कताई मिल बंद हो गई।

किसी मंत्री और सांसद ने नहीं दिया ध्यान

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सहकारी कताई मिल वेशक 2010 में बद हो गई, लेकिन बेरोजगारों और गरीबों के नाम पर राजनीति की रोटी सेकने वाले न तो किसी विधायक ने इस तरह ध्यान दिया और ना ही यहां के सांसद ने। मिल बंद होने के बाद से 2012 में सैयद सादबा फातिमा समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीती और राज्य सरकार में राज्यमंत्री बनीं, लेकिन उन्होंने भी इस मिल को चालू करवाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। और तो और राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार में सहयोगी रहे जहूराबाद के विधायक ओमप्रकाश राजभर भी मंत्री बने लेकिन इन्होंने भी जहूराबाद क्षेत्र की एक मात्र इस मिल को दोबारा चालू करवाने में कोई रुचि नहीं दिखाई। हालत यह है कि 40 करोड़ से बनी इस मिल की मशीनरी जंग खा रही है।

बहादुरगंज कताई मिल एक नजर में

  • 1981 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कताई मिल की आधाशिला रखी थी।
  • तत्कालीन सहकारिता राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह के प्रयासों से मिल बनाने का काम शुरू हुआ।
  • 84 एकड़ में 40 करोड़ की लागत से बनी है बहादुरगंज की सकारी कताई मिल।
  • 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने किया था शुभारंभ।
  • 11 सौ मजूदर एक साथ मिल में करते थे काम1
  • 25 सौ स्पैंडल की थी क्षमता, 2500 श्रमिकों को मिलता रोजगार।
  • कुप्रबंधन के कारण वर्ष 2010 में सहाकरी कातई मिल को कर दिया गया था बंद।