झरोखा डेस्क । आसमान में छाई घनघोर काली घटा और उसके बीच कौंधती बिजली के साथ गजरते बादल जहां मन में सिहरन पैदा करते हैं, वहीं जब ये झूम कर बरते हैं तो लोग कहते हैं सावन को आने दो।
इस बार यही सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। ऐसे में मौसम विज्ञानियों से लेकर सनातन प्रेमियों में उत्साह और उल्लास का माहौल बना हुआ है। आखिर सावन का संबंध सीधे तौर पर प्रकृति और प्रकृति के देवता शिव और सती से जुड़ा है। यही एक ऐसा महीना है जिसका संबंध धरती और अंबर है। क्यों की चैत्य से जेष्ठ तक धरती तवे की तरह तपती है और इसकी तपन को सावन ही शांत करता है।
अब बात करते हैं सनात धर्म से जुड़े सावन की तो इसका महत्व लोक परंपरा से लेकर हमारे धर्म ग्रंथों में भी मौजूद है। मान्यता है कि शिव को पाने के लिए पार्वती ने सावन में ही तप किया था, तभी तो कहते हैं “एक लोटा जल सभी समस्याओं का हल’ अर्थात भगवान शिव को कुछ नहीं चाहिए, उन्हें बस भक्तिभाव से एक बेल पत्र और एक लोटा जल अर्पित करें और महादेव से प्रार्थना करें कि हे प्रभु हमारे दुख को दूर करें और हमारी समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करें।