
शीतल निर्भीक ब्यूरो : लखनऊ। मानव जीवन मे यदि काम करने की ललक अनवरत बनी रही तो एक ना एक दिन मंजिल अवश्य मिलती है।ऐसा ही एक सामान्य जिंदगी के सफर मे अपनी कड़ी मेहनत व लगन से आसमा की मंजिल शून्य से शिखर तक पहुंचे संपादक पुनित जी की कहानी की छलक दिखती नजर आ रही है। इस बाबत हमारे उत्तर-प्रदेश के स्टेट ब्यूरोचीफ शीतल निर्भीक से खास मुलाकात मे उन्होंने इस बात का साझा किया।
ना शोर, ना ज़ोर, ना जगमगाहट, ना चमचमाहट, यूपी के संगम की नैनी के एक लड़के ने बिना किसी शोर गुल के अपने दम,अपने विश्वास के बल पर ऐसा मुकाम बनाया जो आज के लिए युवाओं के लिए भी एक मिसाल है।जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा अवैतनिक रूप से यंग एडिटर ऑफ द ईयर जैसे खिताब आते गए कांरवां बढ़ता गया। ना चेहरे पर शिकन, ना रौब। गांव हो या शहर जैसा देश वैसा वेश यही पहचान है पुनीत अरोरा की।
यकीन मानिये हिमालय सी ऊंचाई के बाद भी पुनीत ज़मीन में लिपतें हुए हैं।वरना आज के जमाने के एक दो खिताब मिल जाने के बाद ही लोग घमंड की आग में तपने लगते हैं। पुनीत के साथ हल्की सी मुलाकात आपको काफी कुछ सिखा जाएगी। इतनी सादगी है पुनीत में।आम जिंदगी में आम रहने वाले पुनीत कैमरा ऑन होते ही का किसी पे अत्याचार होते देख एक जंगली शेर बन जाते हैँ है।
आधुनिक समाचार में छोटा सा सफर तय कर आगे बढ़ते रहे पुनीत पूरा आसमान तुम्हारा है। पुनीत पेशे से विश्विद्यालय के शिक्षक है छात्र छात्राओं के वो आदर्श है उनके लगभग दो दर्जन से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैँ। टाइम मैनेजमेंट पे उनकी अच्छी खासी पकड़ हैँ। पत्रकारिताउनका शौक है की वो समाज के लोगो को उनका हक़ दिला सके पुनीत को बेस्ट टीचर यंग साइंटिस्ट अति सम्मान से भी नवाज़ा जा चूका है।
मिस्टर परफेक्ट और मोस्ट स्टाइलिश मैन का ख़िताब आपने नाम कर चुके पुनीत आज भी लोगो के लिए आइडियल हैँ। समाज मे उनकी अलग ही छवि है। जो लोग उनसे जुड़े है वो आज भी इस बात पे यकीन नहीं कर पाते की पुनीत आज आसमान की बुलंदियों पे है क्युकि वो आज भी अपने लोगो से वैसे ही मिलते है जैसे वो बचपन मे मिला करते थे पुनीत ने बहुत लोगो को व्यवसाय शुरू करवाकर नौकरी दिलवाकर हक़ दिलवाकर जो समाज की सेवा की है वो इस कम उम्र मे करना संभव नहीं था।