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औषधीय गुणों की खान आंवाला से प्राय: हर कोई परिचीत है। कहा जाता है कि एक आंवला सौ रोगों को ठीक करता है। आयुर्वेद में आवंला को कई रोगों की अचूक दवा माना गया है। आंवले का चुर्ण हो, मुरब्बा हो अचार हो या चटनी। सभी का सेवन फायदेमंद है। आयुर्वेद के मुताबिक ठंड के मौसम में आंवले का सेवन सभी को करना चाहिए। सुबह नियमित रूप से खाली पेट दो आंवले का सेवन करना चाहिए। रात को सोने से पहले एक चम्मच आंवले का चुर्ण पानी के साथ लेने से कुछ ही दिनों में इसके फायदे दिखने लगते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में इसकी पैदावार बहुतायत होती है।
संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा आदि नामों से जानते हैं। आंवले प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है जो कभी नष्ट नहीं होता। आंवला दाह, पांडु, रक्तपित्त, अरूचि, त्रिदोष, दमा, खांसी, श्वांस रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। यह मर्दाना शक्ति बढ़ाता है। बालों को भी काला, घना और लंबा बनाता है।