योग आसन न करने वाला पुरुष कभी निरोग , निर्विकार नहीं बन सकता । योग आसन से मन और तन दोनों निरोग , निर्विकार और पुष्ट बन जाते हैं ।
योगाभ्यास से शरीर को बनाएं पुष्ट
औषधियों से रोग दुर्बलता को दूर हटाने की अपेक्षा योग अभ्यास द्वारा शरीर सुदृढ़ बना कर उन्हें हटाना कहीं अधिक अच्छा है। क्योंकि रोगों की उत्पत्ति शारीरिक और मानसिक दुर्बलता से ही होती है । जिस के लिए योग आसन ही बेहतर दवाई है । योग आसन से नीच इन्द्रियां फीकी पड़ जाती हैं और पाप वासनाएं शीघ्र दब जाती हैं ।
शरीर के लिए संजीवनी है योग
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग आसन एक अमृत संजीवनी है । इसमें सम्पूर्ण रोगों को हटाने के गुण भरे हुए है । इस कारण प्रत्येक मानव को योग आसन नियम पूर्वक करना आवश्यक है । जैसे तालाब का पानी स्थिर होने के कारण गन्दा बन जाता है परन्तु नदी या झरने का जल नित्य बहते रहने के कारण अत्यन्त स्वच्छ और साफ रहता।
योग गुरु दीपक