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मैं अपने समाचारों में कभी पुलिस को निशाने पर नहीं रखता

मैं अपने समाचारों में कभी पुलिस को निशाने पर नहीं रखता

सुखबीर मोटू
हालांकि मैं पत्रकारिता में पिछले 20 सालों से एक्टिव हूं। मगर इस दौरान मैंने एक भी समाचार पुलिस के खिलाफ प्रकाशित किया हो, मुझे याद नहीं आता। इसका एक कारण यह है कि मेरा छोटा भाई पुलिस में होता था और जब वह मुझे पुलिस की परेशानियां बताता तो मैं उनकी परेशानियों से भली भांति वाकिफ हो चुका था। उसके बाद ही मैं पत्रकारिता में आया था। इसलिए मेरे समाचारों में मैंने कभी पुलिस को टारगेट पर नहीं रखा, मेरा टारगेट तो किसी वारदात को अंजाम देने वाला अपराधी होता है और मैं हमेशा यही कोशिश करता हूं कि शायद मेरे लिखे समाचार से कोई अपराधी पुलिस के हाथ आ जाए और उस अपराध का खुलासा हो जाए।

पांच हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों से हो चुका हूं रूबरू

हालांकि मेरी पत्रकारिता हिसार और भिवानी जिले में ही रही है। इसलिए मैं 5 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों के संपर्क में आ चुका हूं। हालांकि हिसार में मुझे एक भी पुलिसकर्मी गलत नहीं लगा, लेकिन भिवानी में लगभग 10 पुलिसकर्मी ऐसे होंगे जिनको मैं उनकी गलत कार्यप्रणाली के चलते पसंद नहीं करता था और वे भी मुझसे कापरेट नहीं करते थे। हालांकि एक दिन तो भिवानी के सिविल अस्पताल की पुलिस चौकी में एक एएसआई के साथ मेरी इतनी तूं तड़ाक हुई कि उक्त एएसआई ने कहा कि मैं तुझे अभी अंदर कर सकता हूं।
मैंने उनसे यही कहा कि आप और कर भी क्या सकते हो, क्योंकि आपमें भ्रष्टाचार कूट कूटकर भरा हुआ है। मगर सच बताऊं इन नाममात्र के 10 पुलिसकर्मियों को छोड़ बाकि पुलिसकर्मी मुझे कभी ऐसा काम करते नहीं दिखे कि उन पर मैं किसी तरह की उंगली उठा सकूं। यही कारण रहा कि आज भी मेरे कई पुलिसकर्मी जिनमें कई इंस्पैक्टर, एसआई, डीएसपी आदि जो प्रदेशभर में नियुक्त हैं अपने बड़े या छोटे भाई जैसा प्यार देते हैं और मैं भी उनकी दिल से प्रशंसा करता हूं।

एक बार लगा कि शायद पुलिस ने बड़े स्तर पर गलत जांच की है

हालांकि मुझे जो पुलिसकर्मी पसंद नहीं थे, मैंने उनके खिलाफ भी कोई समाचार नहीं लिखा। मैं उनको या तो उनके सामने आने पर गाली गलौच, बुरा भला कहने के अलावा मोबाइल पर भी उनसे अब भी बहस हो जाती है। मगर मैंने उनको समाचारों के माध्यम से कभी अपने टारगेट पर नहीं रखा। मैं तो पुलिस में अच्छाइयों को देखकर उन्हें समाचार बनाकर लिखने का काम करता रहा हूं। मगर पिछले साल गांव कितलाना की एक युवती के साथ दुष्कर्म और बाद में उक्त युवती द्वारा खुदकुशी किए जाने का एक किस्सा मुझे याद है, जिसमें मुझे लगा कि इसमें बड़े स्तर पर लापरवाही बरती गई है।
हुआ यह था कि कितलाना की एक युवती ने पिछले साल सितंबर में पुलिस को शिकायत दी कि आधी रात को उसके गांव के एक युवक ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर उसका अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया है। इस पर पुलिस ने उसकी शिकायत पर एक नामजद और दो अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी। उस केस के दर्ज होने के 2 दिन बाद ही हमारे पास सूचना आई कि उक्त युवती ने खुदकुशी कर ली। इसलिए उसके परिजन शव का पोस्टमार्टम लेने से इंकार करने की बजाए आरोपियों की गिरफ्तारी के अलावा डीएसपी के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग करते हुए सिविल अस्पताल में धरने पर बैठ गए। मगर मुझे उस मामले में कुछ झोल नजर आया। मगर मैं उस समय से लेकर अब तक क्राइम के समाचार कम ही लिखता हूं, लेकिन जब कोई संगीन अपराध होता है तो उसे मैं अपने हाथ में ले लेता हूं, ताकि उसे अच्छे से पाठकों के सामने पेश किया जाए।
हालांकि, यह वारदात संगीन थी, इसके बावजूद मैंने इसे क्राइम रिपोर्टर वजीर चौधरी पर ही छोड़ दिया और उसे इतना ही कहा कि भाई आप इसमें थोड़ा ध्यान से समाचार को लिखना, क्योंकि मुझे इसमें कुछ डाउट है। इस पर वजीर चौधरी ने भी पहले दिन उस समाचार को ज्यादा तवज्जो नहीं दी, लेकिन बाकि समाचार पत्रों ने उसे लीड समाचार के रूप में प्रकाशित किया। मगर वे लोग दूसरे दिन भी धरने पर बैठे रहे और ऐसा व्यक्ति उस धरने को समर्थन देने पहुंचा जो मेरी नजर में बुद्धिमान होने के अलावा भला इंसान है।

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इसलिए उस दिन मुझे उस मामले में कुछ डाउट हुआ तो दूसरे दिन हमने भी उस समाचार को लीड समाचार बनाया। मगर तीसरे दिन उस युवती के परिजन इस बात पर शव लेने को तैयार हुए कि उनके परिवार के किसी एक सदस्य को डीसी रेट पर नौकरी और 10 लाख रुपए मुआवजा दे। हालांकि सरकार ने इस केस की जांच के लिए गोहाना के तत्कालीन एएसपी को भिवानी भेज दिया। जब प्रशासन ने उनकी इन दोनों मांगों को माना तो वे युवती के शव को लेकर गांव गए और उसका अंतिम संस्कार कर दिया।

जो झोल था वह इस तरह सामने आया

इसके बाद भिवानी के तत्कालीन एसपी गंगाराम पूनिया ने इस मामले को पूरी तरह अपनी जांच के दायरे में लिया और उन्होंने उक्त युवती के मोबाइल नंबर की डिटेल निकाली तो उसमें जो कहानी निकलकर सामने आई, उसने उस मामले में धरने को समर्थन देने वालों और नारेबाजी करने वालों के मुंह पर एक प्रकार से तमाचा मारने का काम किया।
उसमें यह सामने आया कि उक्त युवती का किसी ने अपहरण नहीं किया बल्कि उसने ही अपने एक रिश्तेदारी में आने वाले युवक जो रोहतक जिले का था उसको मोबाइल कर रात को अपने गांव बुलाया। वह युवक मानहेरू रेलवे स्टेशन पर उतरकर पैदल कितलाना गया। उसके बाद उस युवक के कहने पर आधी रात को वह युवती अपने घर से बाहर आई और युवक ने उसके साथ आपसी रजामंदी से शारीरिक संबंध बनाए।

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इसके बाद जब वह युवती वापस अपने घर पहुंची तो उनके परिजनों की आंख खुल गई और युवती का वह राज खुल गया। इस पर उन्होंने युवती से जानबूझकर अपने एक पड़ोसी के खिलाफ अपहरण और गैंगरेप का इसलिए केस दर्ज कराया, क्योंकि उक्त पड़ोसी के साथ उनका नाली के पानी को लेकर विवाद चल रहा था। इतना खुलासा होने के बाद पुलिस ने उसी दिन उस युवती के रिश्तेदार को गिरफ्तार कर सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर उसे जेल भेज दिया।

सुसाइड नहीं हत्या की गई थी

इतना खुलासा होने के बाद एसपी गंगाराम पूनिया को उक्त युवती के सुसाइड में भी झोल नजर आया तो उन्होंने रातों जागकर उस युवती के परिजनों से कड़ाई से पूछताछ की तो उसमें भी यह सामने आया कि उक्त युवती ने सुसाइड नहीं किया बल्कि उसके पिता, भाइयों और एक रिश्तेदार ने उससे पहले एक सुसाइड नोट लिखवाया और बाद में उसकी गला दबाकर हत्या कर उसके शव को एक कमरे में पंखे से लटकाकर इस काम को अंजाम देने वाला आरोपी एक खिड़की जिसे बाहर से भी बंद किया जा सकता था के रास्ते बाहर आ गया और दूसरे दिन उन्होंने उसे सुसाइड करने का जो नाटक रचा उसका पूरा कच्चा चिट्ठा सबके सामने पेश किया तो सब हैरान थे।

हालांकि गंगाराम पूनिया जी ने अपने नेतृत्व में और भी संगीन वारदातों का खुलासा किया, लेकिन मेरी नजर में उनके सामने यह सबसे पेचीदा केस था, जिसे उन्होंने मात्र 10 दिन से भी कम समय में ट्रेस कर सबके सामने अपना एक अलग ही शांतचित रहकर संगीन केसों को ट्रेस करनी की मिशाल पेश की। हालांकि भिवानी के बाद गंगाराम पूनिया जी का इस साल हिसार तबादला हो गया और मंगलवार को सरकार ने उनका ट्रांसफर सीएम सिटी करनाल में बतौर एसपी किया है।

इसलिए यह लेख पूरी तरह गंगाराम पूनिया जी को समर्पित है, जिन्होंने किस तरह अपनी सूझबूझ से इस अनसुलझने से दिखने वाले केस को ट्रेस कर सबके सामने एक मिशाल पेश की। इसलिए मैं ईश्वर से कामना करता हूं कि वे इसी तरह शांतचीत और धैर्यशील रहते हुए अपने काम को अंजाम देते हुए बहुत जल्द हरियाणा के डीजीपी के पद पर आसीन हों।
-लेखक हरियाणा के वरिष्‍ठ पत्रकार हैं








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