Mahabharat Katha: महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। हर तरफ लाशें ही लाशें बिखरी हुई थीं। महिलाओं और अनाथ हुए बच्चों का रुदन हृदय को विदिर्ण कर रहा था।
महाभारत के इस युद्ध में धृतराष्ट्र और गांधारी ने अपने 100 पुत्रों को खो दिया। हस्तिनापुर में हर तरफ शोक की शोक था। गांधारी और धृतराष्ट्र के दुखों की कोई सीमा नहीं थी। वह पांडवों और कृष्ण पर नाराज थे। इन सबमें गांधारी सबसे ज्यादा अपने भाई शकुनि ज्यादा नाराज थी। महाभारत युद्ध के बाद गांधारी ने जिन दो लोगों को भयंकर श्राप दिया, उनमें से एक उनका भाई शकुनि भी था, क्योंकि हर कोई यही मानता है कि शकुनि की साजिश के कारण ही हस्तिनापुर का विनाश हुआ और पूरे महाभारत युद्ध की जड़ में वही था।
महाभारत की कथाओं के अनुसार शकुनि गांधारी का भाई था। जब गांधारी की शादी धृतराष्ट्र से हुई तो शकुनि भी हस्तिनापुर आकर रहने लगा। उसने कुरु वंश को अपने परिवार की बर्बादी के लिए जिम्मेदार माना तो अपनी बहन की नेत्रहीन धृतराष्ट्र के साथ शादी के लिए भी कसूरवार ठहराया।
महाभारत की कथाओं के अनुसार शकुनि ने ठान लिया था कि वो कुरु वंश का नाश करके रहेगा। इसलिए शकुनि ने कौरवों के बचपन से ही साजिश के बीज बोने शुरू किए कि उनकी कभी पांडवों ने नहीं बनी। शकुनि धृतराष्ट्र को हमेशा उकसाता था। महाभारत का युद्ध भी शकुनि की इसी साजिश की पराकाष्ठा थी।
गांधारी को पता था कि किस तरह उसका भाई दुर्योधन को भड़काता रहता है और उसने उसे बचपन से इस तरह तैयार किया कि उसने पांडवों को अपना शत्रु माना।
महाभारत युद्ध के दिनों में ये नजर आने लगा कि सभी कौरव विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। अंत में सभी खत्म हो गया। महाभारत के आखिरी दिनों में गांधारी इस बुरी तरह अपने भाई पर क्रोधित हो उठीं कि उसे भयंकर श्राप दिया।
गांधारी ने शकुनि को श्राप दिया कि जिस तरह उसने हस्तिनापुर में द्वेष और क्लेश फैलाया, उसका फल उसको मिलेगा। इस युद्ध में वह तो मारा ही जाएगा बल्कि उसके गांधार में भी कभी शांति नहीं रहेगी। गांधार में हमेशा गृह युद्ध चलता रहेगा। शांति और समृद्धि नहीं पनप सकेगी। ऐसा ही हुआ।
माना जाता है कि गांधारी के श्राप के कारण गांधार प्रदेश (आज का अफगानिस्तान) हर समय गृहयुद्ध में उलझा रहता है और अफगानिस्तान में हरवक्त युद्ध छिड़ा रहता है।