रजनीश कुमार मिश्र बाराचवर( गाजीपुर) : एक महामारी ने सन् 2020, 2021 में पुरी दुनिया पर कहर बरपाया था । जो एक दुसरे के संपर्क में आने से मनुष्यों को महामारी अपने अधीन कर लोगों को परेशान कर दिया था जिसे चिकित्सकों ने कोरोना वायरस का नाम दे दिया था । ठीक इसी तरह पशुओं के लिए भी एक वायरस खतरा बना हुआ है । जिसे पशुचिकित्सकों ने लम्पी वायरस का नाम दिया है। ये वायरस भी करोना वायरस की पशुओं के एक दुसरे के संपर्क में आने से तेजी के साथ फैल रहा हैं । जिससे पशुपालक काफी परेशान है ।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से फैला है वायरस
पशु चिकित्सक डाक्टर विनय कुमार पान्डेय ने बताया की लम्पी वायरस कहां से फैला है । इसकी जानकारी तो नहीं हैं लेकिन ये बिमारी सन् 2022 में पहली बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पशुओं पर पाया गया । जो देखते ही देखते पुरे उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अपनी पैर जमा लिया । उन्होंने बताया की जैसे कोरोना वायरस एक दुसरे के संपर्क में आने से मनुष्यों में फैलता था । ठीक उसी तरह लम्पी वायरस भी एक दुसरे के संपर्क में आने से पशुओं पर फैल रहा है । उन्होंने बताया की जीस पशु को लम्पी वायरस.हुआ है ।
अगर उसका जूठा पानी या चारा कोई पशु खा लेता है तो उसे भी लम्पी वायरस अपने आगोश में ले लेगा । वहीं बाराचवर पशुचिकित्सालय के वेरिनीटी फर्मासिस्ट अरविन्द यादव ने बताया की किस पशु को लम्पी वायरस हुआ है । उसकी पहचान ये हैं, की पशुओं के शरीर पर दाना निकल, बुखार आना यहां तक की पशु चारा खाना भी बंद कर देंगे । ये सब लम्पी बिमारी की पहचान है । अरविन्द यादव ने बताया की जिस तरह से कोरोना वायरस का कोई उपचार नहीं था ठीक उसी तरह पशुओं में फैल रहे इस वायरस का कोई उपचार नहीं है ।
पशुओं का कराएं टीकाकरण
बाराचवर पशु चिकित्सक डाक्टर विनय पान्डेय ने पशुपालकों को संदेश देते हुए बताया की जैसे मनुष्यों में फैला महामारी कोरोना को कोई उपचार नहीं था । फिर भी दवा के जरिए मनुष्यों की इम्युनिटी बढ़ाई गई व वैक्सिनेशन कर उस महामारी से छुटकारा पाया गया । ठीक उसी तरह पशुओं का टीकाकरण करा कर इस महामारी से पशुपालकों को छुटकारा मिल पायेगा । उन्होंने बताया की हमारे चिकित्सक ब्लाक के गांवों में पहुंच कर टीकाकरण कर रहे है । लेकिन कुछ पशुपालक टीकाकरण कराना नहीं चाहते है । वो हमारे चिकित्सकों को दुसरे दीन आने को कह छुटकारा पा लेते है । डाक्टर विनय पान्डेय ने बताया की चिकित्सालय भवन में ही लम्पी वायरस से ग्रसित पशुओं के लिए आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है ।
हल्दी व नीम की पत्ती से रखे पशुओं का ख्याल
बाराचवर पशुचिकित्सक डाक्टर विनय पान्डेय ने बताया की पशुओं पर फैल रहे लम्पी बिमारी से बचने के लिए हल्दी व नीम की पत्तों से पशुओं का ख्याल रखा जा सकता है । फर्मासिस्ट अरविन्द यादव ने बताया की हल्दी व नीम का पत्ता पशुओं को खिलाने से लम्पी बीमारी से पशुओं को बचाया जा सकता है । उन्होंने बताया की हल्दी व नीम के पत्ते खिलाने से पशुओं के अंदर इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है । जिससे की लम्पी वायरस से पशु लड़ सकते है ।
लम्पी संक्रमित पशुओं का दूध डाल सकता है सेहत पर प्रभाव
पशु प्रेमी और भाजपा सांसद मेनका ने लोगों से लम्पी संक्रमित पशुओं का दूध का सेवन न करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि यह सेहत पर असर डाल सकता है। पशु प्रेमी मेनका गांधी ने कहा कि लम्पी ग्रसित पशु का दूध पीने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने एक्स पर जारी एक वीडियो सेदेश में कहा कि ‘अगर आपने दूध पिया जो लम्पी प्रभावित गाय का हुआ है तो भगवान जाने आपके शरीर में क्या हो सकता है।’ उन्होंने पशुपालकों से भी अपील की कि लम्पी संक्रमित पशुओं का दूध न बेचें।
जाम्बिया में 1929 में मिला था लम्पी का पहला केस
उल्लेखनीय है कि लम्पी का पहला केस 1929 में जाम्बिया में मिला था। जो बाद में धीरे धीरे अफ्रीकी देशों में फैल गया। इसके बाद यह दक्षिणपूर्वी यूरोप, पश्चिम एशिया, मध्य एशिया से होते हुए 2019 में दक्षिण एशिया और चीन के रास्ते भारत में भी प्रवेश कर गया। एफएओ की रिपोर्ट के अनुसार, लम्पी मौजूदा समय में अफ्रीका, पश्चिम एशिया और तुर्की के कई देशों में है।