Home उत्तर प्रदेश उड़द की खेती से कमाएं मुनाफा, 60 दिन में हो जाती है तैयार

उड़द की खेती से कमाएं मुनाफा, 60 दिन में हो जाती है तैयार

दलहन की खेती के लिए सरकारें किसानों को प्रोत्साहित करती रहती है। यदि बात करें गर्मी में दलहन की खेती की तो इसमें उड़द भी एक है। उड़द 60 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार भी अच्छी होती है और बजार में कीमत भी अच्छी मिल जाता है

by Jharokha
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Earn profit from urad cultivation, it is ready in 60 days

thejharokha.com. : श्रावणी यानी खरीफ की खेती करने कर समय आ गया है। गर्मी की खेती की शुरुआत अषाढ़ में खेत पूजन से आरंभ हो गएगा। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी दलहन की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी बाजार में वर्षभर मांग बनी रहती है और किसान भाइयों को मुनाफा भी अच्छा होता है। वह है उड़द की खेती। उड़द को दलहनी फसलों की श्रेणी में गिना जाता है। इसे उत्तर प्रदेश और बिहार सहित अन्य राज्यों उड़द और पंजाब में माह या काली दाल के ना से जाना जाता है।

उड़द की खेती कम समय से अच्छा मुनाफा देने वाली दलहन की फसल है। कृषि विशेषज्ञ भी किसानों को उड़द की खेती करने की सलाह देते हैं। उड़द की खेती दो माह यानी 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है। यहदि पौष्टिकता की बात करें तो उड़द की दाल कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इससे पापड़-बड़ियां सहित कई तरह के स्वादिस्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं, जिससे इसकी मांग बाजार में सालभर बनी रहती है। पंजाब की प्रसिद्ध दाल मखनी भी उड़द की दाल से ही तैयार की जाती है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार उड़द की खेती के लिए गर्मी का मौसम सही समय है। इस समय तापमान में नमी कम होती है। विशेषज्ञों के अनुसार उड़द की बुआई अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि इसकी वृद्धि के लिए 30 से 40 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है।

कैसे करें बुआई

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार उड़द की खेती लगभग 700 से 900 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है। उड़द की बिजाई करते समय इन बातों का खास ध्यान रखें की पौधों के बीच की दूरी कम से कम 10 सेमी होनी चाहिए और बीज भी लगभग 4 से 6 सेमी की गहराई पर बोया जाना चाहिए। इन फफूंदनाशक से हम उड़द बीच का उपचार कर सकते हैं, हमें फफूंदनाशक जैसे केप्टन या थायरम आदि का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही राइजोबियस कल्चर द्वारा इस उपचार के बाद किसान अपनी फसल का 15% उपज बढ़ा सकते हैं। बाजार में कई किस्तों के उन्नतशील बीज उपलब्ध है। हां बीज लेते समय किसान भाई कृषि विभाग की ओर प्रमाणित बीज ही लें।

कीटों और बीमारियों से बचाएं

उड़द की फसल में कीट एवं रोग लगने का खतरा रहता है। ऐसे में समय रहते इसका प्रबंधन कर किसान अपनी फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं। फसलों में लगने वाले रोगों की पहचान करें, फिर उसके अनुसार उपरोक्त कीटनाशकों का छिड़काव करें। अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग दवाओं का छिड़काव किया जाता है। ऐसे में इसके कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें।

गोबर की खाद है बहुत उपयोगी

ग्रीष्मकालीन खेती के लिए खेत तैयार करते समय उर्वरकों के उपयोग की बात करें तो यदि संभव हो तो गोबर की खाद का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप प्रति एकड़ डेढ़ से दो ट्रॉली गोबर की खाद दे सकते हैं, जो कार्बन से भरपूर होती है। जड़ों के विकास के लिए गाय का गोबर बहुत ही महत्वपूर्ण उर्वरक है।

उत्पादन 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ होगा उत्पादन

उत्पादन की बात करें तो अगर आप समय पर ध्यान दें और सही तरीके से उड़द की खेती करें तो उत्पादन 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ होगा। यानी एक बीघे में आपको 2 से 3 या फिर चार क्विंटल तक की पैदावार मिल सकती है।
किसान भाइयों अगर कीमत की बात करें तो 6000 से 7000 रुपये के आसपास कीमत आसानी से मिल जाएगी। ऐसे में किसान भाइयों को उड़द की खेती से काफी मुनाफा मिल सकता है।

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