नेताओं का अपने-अपने दलों के साथ संबंधों का मूल स्वरूप बदल चुका है। अब यहां पति-पत्नी की तरह सात जन्मों वाला रिश्ता नहीं, बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप चलता है। कल था आज समाप्त हो गया वाला हाल है। चुनाव के दिनों में तो यह रस्म खूब निभाई जा रही है। सिद्धांतों में क्या रखा है तात, उधर लुढ़क जाओ जिधर दिखे भरी परात…की तर्ज पर नेता दल बदलने में लगे हैं। चब्बेवाल उपचुनाव में कुछ ऐसा ही परिदृश्य देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे सुंदर शाम अरोड़ लोकसभा चुनाव में भाजपा का गुणगान करते नहीं थकते थे, विधानसभा उपचुनाव में फिर से कांग्रेस के हो लिए हैं।
बसपा की हाथी पर सवार होकर कल तक कांग्रेस को कोसते रहे एडवोकेट रंजीत कुमार अब कांग्रेस की आराधना में लीन हैं। इसका उन्हें फल भी मिला है, पार्टी ने उन्हें उपचुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल ने भी शिरोमणि अकाली दल को उपचुनाव से ठीक पहले अलविदा कह दिया है। अब वे चुनावी मैदान में भाजपा की ओर से लड़ेंगे। कांग्रेस के डा. राज कुमार लोकसभा चुनाव के दौरान ही ‘आप’के हो चुके थे। अब उनके बेटे डा. इशांक मैदान में ताल ठोक रहे हैं।
कभी विधानसभा में मान का विरोध, अब बेटा आप उम्मीदवार
आप ने उम्मीदवार डा. इशांक पिता डा. राज के राजनीतिक सफर में साथ रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब पिता पहली बार कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में उतरे तो उन्होंने चुनावी अभियान प्रभारी के रूप में काम किया और मीडिया प्रबंधन सहित विभिन्न कैंपेन में आगे रहे। पिता के पक्ष में जनसभाओं को भी संबोधित किया था। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी डा. राज कांग्रेस की टिकट पर लड़े और जीते। डा. राज दलित समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। वे लंबे समय तक पंजाब प्रदेश कांग्रेस के एससी सेल के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। विधानसभा में मुख्यमंत्री मान के साथ झड़प भी हो चुकी है। वह मान द्वारा कांग्रेसी विधायकों को सांगली डालकर बांधने वाली टिप्पणी से क्षुब्ध थे और अगले दिन खुद सांगली लेकर विधानसभा पहुंचे थे। अब बेटा इशांक आप की तरफ से ही चुनाव मैदान में हैं।
सोहन सिंह ठंडल
भाजपा उम्मीदवार सोहन सिंह ठंडल पेशे से किसान हैं। 2007, 2002 और 1997 में माहिलुर से विधायक रहे हैं। 2012 में उन्होंने अकाली दल के टिकट से विधानसभा का चुनाव जीता था। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की सरकार में सीपीएस और कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इस साल की शुरुआत में शिअद की टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार मिली।
एडवोकेट रंजीत कुमार
कांग्रेस उम्मीदवार एडवोकेट रंजीत कुमार ने 2002 में बसपा से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। साल 2020 में वह बसपा के प्रदेश महासचिव भी रहे हैं। 1997 में होशियारपुर जिला अदालत में बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की थी। इस समय वे जिला बार एसोसिएशन होशियारपुर के अध्यक्ष हैं। बार काउंसिल आफ पंजाब एंड हरियाणा एंड चंडीगढ़ के नामित सदस्य रह चुके हैं।