राजा सिंह ब्यूरो चीफ, लखनऊ : यू०पी० प्रेस क्लब लखनऊ में SC आरक्षण अधिकार अभियान के जन प्रिय आन्दोलन आरक्षण नहीं तो वोट नहीं के तत्वाधान में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें आन्दोलन के राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश चन्द्र निषाद ने कहा कि मेरे नेतृत्व व मार्ग दर्शन में निषाद वशिय समाज के सभी जातियों उपजातियों समनामी व पर्यायवाची जातियों द्वारा आरक्षण नहीं तो वोट नहीं का यह लोकप्रिय जन आन्दोलन सर्वप्रथम 10 अगस्त 2021 को SC आरक्षण अधिकार अभियान के बैनर तले शुभारम्भ किया था जो मात्र 4 महीने के अल्प अवधि में उत्तर प्रदेश ही नहीं वरन् बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ उत्तराखंड हरियाणा राजस्थान आदी प्रदेशों तक फैल गया है।
आजादी के 74 वर्ष व्यतीत होने के बावजूद भी अधिसंख्यक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को विवश यह निषाद वंशिय समाज आज अपने हक अधिकार से वंचित होकर अभावग्रस्त शोषित अभिशप्त जीवन जीने को विवश है। यह समाज उत्तर प्रदेश में विगत कई दशकों से शान्ति पूर्ण धरना प्रदर्शन सम्मेलन के माध्यम से अपने हक अधिकार के अथक प्रयास करता रहा फिर भी कानूनी नैतिक संवैधानिक हक अधिकार के रहते हुए भी इसे अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ आज तक प्राप्त नहीं हो सका। यधपि पश्चिम बंगाल व राजधानी दिल्ली जैसे प्रदेशों में भी यह जातिया अनुसूचित जाति में रहकर SC आरक्षण का लाभ प्राप्त कर रही है।
भारत सरकार के सेन्सस रिपोर्ट 1961 के अनुसार अन्य अनुसूचित जातियां जैसे जाटव चमार बाल्मीकि बहेलिया आदि कुल लगभग 76 जातियों के सभी सैकड़ों पर्यायवाची जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ मिलता है परन्तु उक्त सेन्सस रिपोर्ट 1961 के ही क्रमांक 51 पर अंकित मझवार जाति के पर्यायवाची जातिया मल्लाह केवट मुजाबिर राजगोंड गोड एवं इन सभी की उपजातियों / समनामी जैसे निषाद कश्यप, बिंद धीमर धीवर बाधम मांझी, तुरहा, रायकवार गोडीया कहार आदि जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ आज तक नहीं मिल सका। दिनांक 18 मार्च 1975 के द्वारा भी अतिरिक्त जिलाधीश कानपुर नगर) को पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया था कि मझवार जाति सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में पायी जाती है और यह अनुसूचित जाति में शामिल है। ऐसी स्थित में पिछड़ी जाति में रखना इनके साथ घोर अन्याय ही नहीं वरन् संविधान की मंशा के विपरीत भी है।
आजादी के बाद से कांग्रेस भाजपा सपा व बसपा की केन्द्र में सरकार रही अथवा यह केन्द्र सरकार में भागीदार व सहयोगी रहे परन्तु निषाद वंशिय समाज को अनुसूचित जाति का आरक्षण प्रदान करना तो दूर की बात समाज के पुस्तैनी कार्य जैसे बालू मोरंग खनन के पट्टे झीलों, तालाबों नदीयों व घाटों, साथ में जमीन के पट्टे जो प्राथमिकता के आधार पर मिल रहे थे वह भी बीजेपी सरकार ने खत्म कर दिये। इसके समाप्त करने से समाज के सामने भुखमरी की विकट समस्या उत्पन्न हो गयी है। इसके अतिरिक्त भाजपा द्वारा समाज के महापुरुषों पूर्व सांसद विरांगना फूलन देवी को भाजपा प्रवक्ता सुधाशु त्रिवेदी द्वारा सार्वजनिक रूप से अपमानित कर समाज के इज्जत आबरू सम्मान को खुली चुनौती दी जा रही है जिसे निषाद वंशीय समाज किशी कीमत पर कदापि बर्दाश्त नही करेंगे