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श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, सियासतदानों में मची खलबली


वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम का सोमवार को लोकार्पण कर दिया। इस दौरान उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर के भव्य निर्माण में श्रमिकों से लेकर इंजीनियरों तक पर पुष्प वर्षा कर न केवल उनका मान बढ़ाया, बल्कि उनके साथ भोजन कर उनका गौरव भी बढ़ाया। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 50 मिनट तक भाषण दिया। उनका यह पूरा भाषण श्री काशी विश्वनाथ, मां गंगा, पौराणिक कथाओं, मान्यताओं सनातन संस्कृति और इतिहास और विकास पर केंद्रीत था।

अपने इस संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने इतिहास के उन पांच नामों का उल्लेख कर देश की राजनीति में खलबली मचा दी, जिनका सीधा और परोक्ष संबंध हिंदू राजनीति है। इसे उत्तर प्रदेश में होने वाली विधानसभा चुनावों से जोड़ कर राजनीतिक पंडितों ने देखना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने इन पांच नामों का उल्लेख कर हिंदुओं की एकजुटता का संदेश दिया है। साथ ही वह अपने भाषाण में मंदिरों को तोड़ने और हिंदुओं पर अत्याचार करने वाले मसूद सालार गाजी को मारने वाले राजा सुहलदेव का उल्लेख कर उन्होंने राजभर वोटरों को साधाने का काम किया है।

प्रधानमंत्री के भाषण का राजनीति मायने निकालने वालों का कहना है कि ओवैसी के साथ जहूराबाद विधानसभा के विधायक और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर मसूद सालार गाजी की कब्र पर चादर चढ़ाने गए थे। उस समय ओम प्रकाश के प्रति राजभर समाज में आक्रोश देखने को मिला था।
सियासी गलियारों में चर्चा है पूर्वांचल में राजभर वोट अधिक हैं और इसपर ओमप्रकाश का प्रभाव है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण शिवाजी महाराज, महाराजा रणजीत सिंह और राजा सुहलदेव की चर्चा कर पूर्वांचल को साधने की कोशिश की है जिसे लेकर सियासतदानों में खलबली मची है।







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