देशभर में महामारी से बचाव के लिए लोगों को मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के चलते अपनी शिकायत लोग हर तरफ करते दिख रहे हैं। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र की जमकर क्लास ली। जिसमें उन्होंने बेड,ऑक्सीजन,वेंटिलेटर एवं अन्य मेडिकल सुविधाओं के उपलब्ध नहीं होने की बात को सही करार दिया है। साथ ही केंद्र को यह हिदायत दी है कि इस तरह की समस्या को छुपाया नहीं जाना चाहिए। यदि लोगों द्वारा किए जाने वाले शिकायतों पर कोई रोक लगाता है तो उसे अदालत की अवमानना समझा जाएगा।
ऐसा था उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश
इस हिदायत को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा दिए गए बयान से जोड़ा जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह आदेश दिया था कि यदि किसी के द्वारा कोरोना को लेकर डराने वाली अफवाह या मेडिकल सुविधाओं में कमी होने की झूठी खबर फैलाई जाती है, तब उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूर के पीठ में केंद्र सरकार से सवाल जवाब किया गया। कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी सूचनाओं को दबाया जाना न्याय बुनियादी अवधारणा के खिलाफ है। सभी राज्यों के डीजीपी को यह स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए कि सोशल मीडिया पर किसी के द्वारा दिए गए शिकायत को गलत नहीं बताया जा सकता है।
वहीं केंद्र सरकार से ऑक्सीजन व दवाइयों की समस्या को लेकर भी पूछताछ किया गया। कोर्ट ने पूछा कि क्या वैक्सीन की एक डोज के लिए 300 से 400 रुपए देकर हम एकराष्ट्र हो इसे खरीदकर राज्यों के बीच वितरण कर सकते हैं,जिससे दामों में कोई फर्क नहीं हो। क्योंकि गरीब परिवार इसका भुगतान नहीं कर सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि हम आदेश नहीं दे रहे हैं, लेकिन फिर भी आपको एक बार इसपर विचार करने की जरूरत है।