फिजियोथेरेपी एक ऐसी चिक्तिसा पद्धति जो न केवल दर्द से बल्कि दर्द निवारक दवाओं से भी मुक्ति दिलाती है। इस चिकित्सा पद्यति में धैर्य बहुत जरूरी है। मरीज को धैर्य रखते हुए फिजियोथेरेपिस्ट के बताए अनुसार कसरत करने और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत है। इससे मरीज को न सिर्फ दीर्घकालिक लाभ होता है बल्कि व्यायाम भी उसकी जीवनशैली का नियमित हिस्सा बन जाता है।
फिजियोथेरेपी क्या है
फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि फिजियोथेरेपी क्या है । डॉक्टर अंजली कुमारी कहती है कि यह एक ऐसा चिक्तिसा विज्ञान है जो कंपन और व्यायाम पर आधारित है। फिजियोथेरेपी यानि शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों−नसों के दर्द या तकलीफ वाले हिस्से की वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों, एक्सरसाइज, मोबिलाइजेशन और टेपिंग के जरिए मरीज का उपचार किया जाता है।
डॉक्टर अंजली कहती हैं, हालांकि कुछ लोग योग और कसरत को ही फिजियोथेरेपी मानते है, लेकिन यह सही नहीं है। फिजियोथेरेपी विधि से मरीज का उपचार करते समय विशेषज्ञ कई तरह के व्यायाम और आधुनिक तकनीक वाली मशीनों की मदद लेते हैं। आज की जीवनशैली में हम लंबे समय तक अपनी शारीरिक प्रणालियों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और जब शरीर की सहनशीलता नहीं रहती है तो वह तरह−तरह की बीमारियों व दर्द की चपेट में आ जाता है। फिजियोथेरेपी को हम अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर दवाइयों पर निर्भरता कम करके स्वस्थ रह सकते हैं।
बिना दवा के शारीरिक अंगों का उपचार
डॉ: अंजली के मुताबिक फिजियोथेरेपी एक ऐसी चिकित्सा पद्यति है, जिसमें रोगी का परीक्षण कर इजाल किया जाता है। इस विधि से शरीर के अंगों को बिना सुई-दवाइ के ही ठीक ढंग से कार्य कराया जाता है। उन्होंने कहा कि एक कुशल फिजियोथेरेपिस्ट वाटर थेरेपी, मसाज आदि अनेक प्रक्रियाओं के द्वारा रोगी का उपचार करता है। दवा रहित उपचार जिसमें मशीनों की सहायता से मांसपेशियों को आराम देकर सूजन व दर्द में राहत दी जाती है। मशीनी तरंगें दर्द वाले प्रभावित हिस्से पर सीधे काम करती हैं। इसमें ठंडा−गर्म सेक, मैकेनिकल ट्रैक्शन (खिंचाव) से इलाज होता है।
बिना दवा दर्द से राहत पाने का फिजियोथेरेपी बेहर विकल्प
फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर अंजली का माना है कि मरीज अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो उनके लिए फिजियोथेरेपी बेहतर विकल्प हो सकता है। क्योंकि स्वास्थ्य लाभ लेने यह तकनीक उपयोगी है। लेकिन जागरूकता और धैर्य की कमी और खर्च बचाने के चक्कर में लोग लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं, जो उनकी सेहत के लिए हानिकार साबित हो सकता है। डॉक्टर अंजलि के मुताबिक मरीज तभी फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है।
चिकित्सा विधि
डॉक्टर अंजली कहती हैं, आमतौर पर फिजियोथेरेपिस्ट किसी का इलाज शुरू करने से पहले बीमारी का पूरा इतिहास देखते हैं। उसी के अनुसार अत्याधुनिक इलेक्ट्रोथेरेपी (जिसमें इलाज के लिए करेंट का इस्तेमाल किया जाता है) और स्ट्रेचिंग व व्यायाम की विधि अपनाई जाती है। मांसपेशियों और जोड में के दर्द से राहत के लिए फिजियोथेरेपिस्ट मसाज का भी सहारा लेते हैं।
नियमित हो इलाज तभी है फायदा
डॉक्टर अंजलि के मुताबिक फिजियोथेरेपी का फायदा तभी है जब मरीज नियमित रूप से इलाज कराएं। दर्द के स्थायी इलाज के लिए मरीज को थोड़ा धीरज रखना होता है। क्योंकि दर्द निवारक दवाओं की तरह फिजियोथेरेपी कुछ ही घंटों में असर नहीं दिखाता इसमें थोड़ा वक्त लग जाता है। खासकर फ्रोजन शोल्डर, कमर व पीठ दर्द के मामलों में।
फिजियोथेरेपी से कुछ दर्द में तो तुरंत आराम मिलता है, पर स्थायी परिणाम के लिए थोड़ा वक्त लग जाता है। दर्द निवारक दवाओं की तरह इससे कुछ ही घंटों में असर नहीं दिखाई देता। खासकर फ्रोजन शोल्डर, कमर व पीठ दर्द के मामलों में कई सिटिंग्स लेनी पड़ सकती हैं। कई मामलों में व्यायाम भी करना पड़ता है और जीवनशैली में बदलाव भी। इलाज की कोई भी पद्धति तभी कारगर साबित होती है, जब उसका पूरा कोर्स किया जाए। फिजियोथेरेपी के मामले में यह बात ज्यादा मायने रखती है। फिजियोथेरेपी में दर्द की मूल वजहों को तलाश कर उस वजह को ही जड़ से खत्म कर दिया जाता है। मसलन यदि मांसपेशियों में खिंचाव के कारण घुटनों में दर्द है तो स्ट्रेचिंग और व्यायाम के जरिये इलाज किया जाता है। इलाज की कोई भी पद्धति तभी कारगर साबित होती है, जब उसका पूरा कोर्स किया जाए। फिजियोथेरेपी के मामले में यह बात ज्यादा मायने रखती है।