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मेनोपॉज के बाद भी ले सकती हैं दांपत्‍य सुख का आनंद

मेनोपॉज के बाद भी ले सकती हैं दांपत्‍य सुख का आनंद

अमृतसर : मेनोपॉज को लेकर बहुत सी महिलाओं में अक्‍सर यह संशय रहता है कि इससे उनकी शारीरिक क्षमता कम हो रही है और वे बुढ़ापे की ओर बढ़ रही हैं, तो कुछ महिलाएं ये भी मानती हैं कि मेनापॉज उनकी रतिक्रिया में अवरोध उत्‍पन्‍न करता है। जबकि, वास्‍तव में ऐसा नहीं है। चालीस की उम्र में पहुंची महिलाओं में मेनोपॉज की स्थिति उसकी प्रजनन क्षमता को बंद कर देती है, ना कि उसकी शारीरिक क्षमता और काम क्षमता को। मेनोपॉज के बाद भी स्‍त्री पूर्ण रूप से दांपत्‍य सुख का आनंद उठा सकती है। इससे ना तो शारीरिक क्षमता पर कोई असर पड़ता है और ना ही उनके सेक्‍स जीवन पर। यदि सही मायने में देखें तो वह अपले से कहीं अधिक आनंद ले सकती है। बशर्ते खुद को थोड़ा सा तैयार कर ले तो। यह कहना है लक्ष्‍मी नारायण मेडिकल कॉलेज अमृतसर के डॉक्‍टर अविनाश श्रीवास्‍तव का।

क्‍या होता है इस स्थिति में

डॉक्‍टर श्रीवास्‍तव कहते हैं कि मेनोपॉज उम्र के साथ होने वाली एक सामान्‍य प्रक्रिया है। इस स्थिति में मासिक स्राव होना बंद हो जाता है अर्थात अंत: स्राव ग्रंथियों में परिवर्तन आता है। इसमें अंडाशय सामान्‍य मात्रा में एस्‍ट्रोजन हार्मोन बनाना कम कर देता है। हार्मोन्‍स के असंतुलन से भी मेनोपॉज हो सकता है। सामान्‍यक्रम में मेनोपॉज की इस प्रक्रिया के प्रति यदि हम अपनी सोच सामान्‍य रखें तो इसे एंजॉय कर सकते हैं। वे महिलाएं जो संतुलित आहार लेती हैं और पूर्ण रूप से स्‍वस्‍थ हैं, उनमें मेनोपॉज जीवन की सामान्‍य प्रक्रिया के रूप में आता है। वहीं वे स्त्रियां जिनकी दिनचर्या नियमित है और वे अपने खानपान के प्रति लापरवाह हैं, उनमें मेनोजॉज एक शारीरिक, मानसिक और भावनात्‍मक अस्थितरता लेकर आता है। डॉ: अविनाश कहते हैं महिलाओं में मेनोपॉज के साथ-साथ हॉट फ्लैश, नाट स्‍वेटिंग, अनिद्रा या इनसोमेनिया, अनियमित परीरियड्स, काम इच्‍छा का लुप्‍त होना बहुत जल्‍दी थकान, सिरदर्द, चक्‍कर आना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। भारी शरीर वाली महिलाओं में गर्भाशय एवं स्‍तन कैंसर की भी संभावना बनी रहती है।

करें भावनात्‍मक तैयारी

डॉ: श्रीवास्‍तव जब लड़की किशोरावस्‍था में प्रवेश कर रही होती है तो मां उसे होने वाले शारीरिक परिर्वतनों, माहवारी आदि के लिए उसे भावनात्‍मक रूप से तैयार करती है। जिससे वह इन परिवर्तनों को लेकर पेरशान न हो। फिर वह मेनोपॉज के समय हम स्‍वयं को शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्‍मक रूप से तैयार कर जीवन को क्‍यों न जीवंत बनाएं।
वे कहते हैं कि शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ महिलाएं संतुलित आहार, नियमित जीवन शैली और व्‍यायाम करें तो मेनोजॉज एक नए जीवन की शुरुआत हो सकती है। डॉ: श्रीवास्‍तव कहते हैं कि जिन महिलाओं में फिटनेस लेवल कम होता है उनमें मेनोपॉज से उत्‍पन्‍न होने वाली परेशानियां अधिक देखने को मिलती हैं। जो महिलाएं सप्‍ताह में कम से कम तीन घंटे व्‍यायाम करती हैं वे फिट रहती हैं। व्‍यायाम जनन मांसपेशियों में कैंसर प्रतिरोधक का कार्य तो करता ही है, साथ ही साथ मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसियस होने की संभावनाओं को भी कम करता है।

आहर में लें प्रोटिन

डॉ: अविनाश कहते हैं कि ऐसी महिलाओं को अपने आहार में प्रोटिन, कैल्शियम, मैग्रनीशियम, विटामिन ई और डी, पेंटोथक एसिड आदि अवश्‍य लेने चाहिए। वे कहते हैं यदि हॉट फ्लैश आते हैं तो सोया, साबुत अनाज, बींस और विटामिन ई युक्‍त आहार लेने चाहिए। महिलाओं को चाहिए कि वे संतुलित आहार अवश्‍य लें। इनमें हरी सब्जियां, सैलेड, पुल, बिना वसा का दूध, अंकुरित अनाज, पनीर, सोयाबीन आदि का सेवन जरूर करना चाहिए। वे कहते हैं कि प्राकृतिक चिकित्‍सा में ६०-९० मिली चुकंदर का रस दिन में तीन बार लिया जाना मेनोपॉज में असंतुलन को संतुलित करता है।

इन बातों का रखें ध्‍यान

अपने शीर के वजन (एक ग्राम प्रति किलोग्राम) के अनुपात में वसा का सेवन करें, उससे अधिक नहीं।
छोटे-छोटे आहार दिन में पांच बार लें।
पानी के अरिरिक्‍त रोजाना 1.५ से दो लीटर तरल पदार्थों का सेवन करें।
खाद्य पदार्थों को कम पानी और कम वसा में हलका पकाएं।
ताजे फल और सब्जियों का सेवन नियमित रूप से करें।
एनिमल फैट के स्‍थान पर वेजिटेबल फैट का प्रयोग करें।
साबुत अनाज का अतिधक से अधिक सेवन करें, वे पौष्टिक तत्‍व फावर प्रदान करते हैं।
मिठाई और रिफाइंड का कम से कम प्रयोग करें।
इसके साथ ही नियमित तौर पर व्‍यायाम करें।
डॉक्‍टर अविनशा श्रीवास्‍तव कहते हैं कि आप अपने मनोमस्तिष्‍क से यह भ्रम निकाल दें कि यदि आपको गर्भाशय से संबंधित या अन्‍य कोई और अस्‍वस्‍थता है तो अपा व्‍यायाम अथवा योग नहीं कर सकतीं। ऐऐ में फिटनेस एक्‍सपर्ट एवं डॉक्‍टर की सलाह से आप अपने को चिरयौवन प्रदान कर सकती हैं।







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