Home मन की बात हवा मांग रही सांस

हवा मांग रही सांस

by Jharokha
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breath asking for air

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Me :
ऐ हवा! तुझे किसकी हवा लगी,
रोग ये कैसा जिसकी दवा नहीं।

Hawa :
आपने ही बुनी प्रदूषण की चादर,
लिपट गया जिसमें शहर से सागर,

Me :
बताओ कुछ उपाय तुम्हें लूं बचा,
स्वच्छ हो जहां न भुगते हम सजा,

Hawa :
बेबसी का आलम है रही न कोई आस,
किससे कहूं कि मुझे भी चाहिए सांस…

Jharokha

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